अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञों ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को विकासशील देशों में सबसे व्यापक बताया है। भारत के परमाणु बम/आयुध का आकलन हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम के संग्रह से लगाया जा सकता है। उपलब्ध प्लूटोनियम भंडार के अनुसार नई दिल्ली के पास मोटे तौर पर 138 हथियार होने चाहिए। इसका मतलब यह है कि भारत के पास 110 से 175 के बीच हथियार हो सकते हैं।
नाभिकीय परियोजना अपनी पूर्ति की ओर आगे बढ़ रही थी, तभी १९६० में नेहरु ने इसे निर्माण की ओर मोड़ने की सोची तथा भारत में भी नाभिकीय बिजली घर की अपनी परिकल्पना को मूर्त रूप देते हुए अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक को भारत का पहला नाभिकीय बिजली घर, तारापुर (महाराष्ट्र) में बनाने का जिम्मा सौपा। यही वो वक्त था जब नेहरु ने भाभा से नाभिकीय हथियारों को बनाने में लगने वाले वक्त के बारे में पुछा तब भाभा ने १ वर्ष का अनुमानित समय माँगा।
१९६२ के आते आते परमाणु कार्यक्रम धीमी रफ़्तार से ही सही लेकिन चल रहा था। नेहरु भी भारत-चीन युद्ध के चलते जिसमे भारत ने चीन से अपनी जमीन खोयी थी, परमाणु कार्यक्रम से विचलित हो गए थे। नेहरु नेसोवियत संघ से मदद की अपील की लेकिन उसने क्यूबाई मिसाइल संकट के चलते मदद करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। तब भारत इस निष्कर्ष पर पंहुचा की सोवियत संघ विश्वास योग्य साथी नही है, तब नेहरु ने दृढसंकल्पित होके किसी और के भरोसे बैठने के बजाय खुद को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने का निश्चय किया जिसका खाका सन १९६५ में भाभा को दिया गया जिन्होंने राजा रमन्ना के अधीन तथा उनकी मृत्यु के बाद परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढाया।
भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण 18 मई 1974 को किया था। हाला कि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है।
भारत मे 11 व 13 मई 1998 को बुद्ध-स्थल पर राजस्थान के पोखरण मे 5 परमाणु विस्फोट होने से सारे विश्व मे तहलका मच गया था। अब भारत भी परमाणु शक्तियों मे संपन्न है। परीक्षण के इन धमाको से सारा संसार चकित रह गया। परीक्षण स्थल के आस-पास के मकानो मे भी दरारें पड गई। किन्त राष्ट्र की इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टुटने से इतनी चिंता नही हुई जितनी प्रसन्नता इस महान सफलता से हुई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी २० मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।
इन परीक्षण का असर परमाणु संपन्न देशो पर बहुत अधिक हुआ। अमरीका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन आदि देशो ने भारत को आर्थिक सहायता न देने की धमकी भी दी। किन्तु भारत इन धमकियों के सामने नहीं झुका।
आज विश्व मे लगभग ६० हजार परमाणु हथियार हैं जिन को नष्ट करने मे कम से कम २० से २५ वर्ष लगेंगे। निरस्त्रीकरण के फल्स्वरुप केवल १० हजार परमाणु हथियार ही नष्ट हो सके। इस से स्प्ष्ट है कि परमाणु हथियारों का खतरा तो बना ही रहेगा। इसलिए भारत ने अपनी आत्मरक्षा के लिए यह प्रयास किया है।
दुनिया भर में इस वक्त नौ देशों के पास करीब 16,300 परमाणु बम हैं. परमाणु निशस्त्रीकरण की मांग के बावजूद यह संख्या कम नहीं हो रही है. चलिए देखते हैं कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं.
परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में सबसे आगे। 1949 में पहला परीक्षण। इसके पास करीब 8,000 परमाणु हथियार हैं।
1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण के कुछ ही समय बाद जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु हमला किया।फिलहाल 73,00 परमाणु बम हैं।
यूरोप में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रखने वाला देश।1960 में तकनीक मिली। 300 एटम बम हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना वाले इस देश की परमाणु ताकत के बारे पुख्ता जानकारी नहीं है। 250 परमाणु बम होने का अनुमान है।1964 में पहला परीक्षण।
पहला परमाणु परीक्षण 1952 में किया।अमेरिका के करीबी सहयोगी के पास 225 परमाणु हथियार हैं।
1948 से 1973 तक तीन बार अरब देशों से युद्ध लड़ चुके इस देश के पास करीब 80 नाभिकीय हथियार हैं। हालांकि उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है।
अपने पड़ोसी भारत से तीन बार जंग लड़ चुके पाकिस्तान के पास 100-120 परमाणु हथियार हैं. 1998 में परमाणु बम विकसित करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ है. विशेषज्ञों को डर है कि अगर अब इन दोनों पड़ोसियों के बीच लड़ाई हुई तो वह परमाणु युद्ध में बदल सकती है.
पाकिस्तान के कुख्यात वैानिक अक्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु तकनीक हासिल करने वाले उत्तर कोरिया के पास कम से कम छह परमाणु हथियार हैं। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 2006 में उसने परमाणु परीक्षण किया।
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