भारत सदैव से शांति का समर्थक रहा है परंतु कई बार शांति की स्थापना शक्ति के संतुलन से ही होती है । भारत देश अंग्रेजों से आज़ाद हुआ तो चीन और पाकिस्तान के नापाक हरकतों के कारण भारत युद्ध की विभीषिका झेलनी पड़ी । चीन से हार के बाद देश को रक्षा की जरुरत समझ में आई और हमारे वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम ने आज संसार के अग्रणी देशों को भी मिसाइल तकनिकी में पीछे छोड़ दिया है । आज भारत ने संसार को अपनी मिसाइलों के जद में ले लिया है ।
आइये एक बार भारत की मिसाइल ताकत का अंदाजा लगाते हैं ।
आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, ज़मीन से हवा में निकट दूरी (२५-३०km) पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
नाग प्रक्षेपास्त्र एक तीसरी पीढ़ी का भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र है। यह उन पाँच (प्रक्षेपास्त्र) मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है।
अमोघ -1, एक दूसरी पीढ़ी, टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल है जो 2.8 किमी की सीमा में लक्ष्य पर एक पिन की नोक के अंतर जितनी सटीकता से वार कर सकता है। यह हैदराबाद में भारत डायनेमिक्स द्वारा विकसित किया जा रहा है।
पृथ्वी 1 सतह से सतह पर 1000 किलो की अधिकतम क्षमता वाली एक मिसाइल है । यह 150 किलोमीटर (93 मील) की दूरी की मारक क्षमता से लैश है | 10-50 मीटर (33-164 फीट) की सटीकता के साथ इसे ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लांचर से दागा जा सकता है । पृथ्वी मिसाइल का यह प्रथम वर्ग 1994 में भारतीय सेना में शामिल किया गया ।
“पृथ्वी दो”, एक एकल चरण द्रव ईंधन वाली मिसाइल है । यह ५०० किलो के अधिकतम वारहेड को 250 किलोमीटर (160 मील) तक प्रक्षेपित करता है । यह भारतीय वायु सेना हेतु विकसित किया गया था। इसका 27 जनवरी 1996 को पहली बार परीक्षण निकाल दिया गया था और विकास के चरणों को 2004 तक पूरा कर लिया गया था । हाल ही में एक परीक्षण में, मिसाइल को 350 किलोमीटर (220 मील) की एक विस्तारित रेंज और एक inertial नेविगेशन प्रणाली से और उन्नत बनाया गया है ।
पृथ्वी तृतीय, एक दो चरण वाला सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। पहले चरण में इसमें एक 16 मीट्रिक टन बल (157 केएन) प्रदान करने वाला मोटर और साथ ही ठोस ईंधन था। दूसरे चरण में तरल ईंधन है।
अग्नि-1 मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता सात सौ किलोमीटर है। 15 मीटर लंबी व 12 टन वजन की यह मिसाइल एक क्विंटल भार के पारंपरिक तथा परमाणु आयुध ले जाने में समक्ष है। मिसाइल को रेल व सड़क दोनों प्रकार के मोबाइल लांचरों से छोड़ा जा सकता है। अग्नि-१ में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चत करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था।
अग्नि द्वितीय (अग्नि-२) भारत की मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 21 मीटर लंबी और 1.3 मीटर चौड़ी अग्नि-२ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 3 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है।
अग्नि-३ (अग्नि तृतीय), अग्नि-२ के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत द्वारा विकसित मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। जिसकी मारक क्षमता ३५०० किमी से ५००० किमी तक है।
IRBM मध्यवर्ती-दूरी सतह से सतह की बैलिस्टिक मिसाइल
यह साढ़े तीन हजार किलोमीटर तक मार करती है।
अग्नि 5 से भारत इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) क्लब में शामिल हो जाएगा। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन पहले से ही इस तरह की मिसाइलों से लैस हैं। अग्नि-5 मिसाइल का निशाना गजब का है। यह 20 मिनट में पांच हजार किलोमीटर की दूरी तय कर लेगी और डेढ़ मीटर के टारगेट पर निशाना लगा लेगी। यह गोली से भी तेज चलेगी और 1000 किलो का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगी।
धनुष मिसाइल स्वदेशी तकनीक से निर्मित पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक संस्करण है| यह 8.56 मीटर लंबा है| यह एक समय में 750 किलोग्राम मुखास्त्र तक ले जा सकता है और हल्के मुखास्त्रों के साथ 500 किलोमीटर तक मार कर सकता है| प्रक्षेपण के समय इसका वजन ४६०० किलोग्राम होता है और इसे पारंपरिक तथा परमाणु दोनो तरह के हथियारों का प्रक्षेपण किया जा सकता है|
इस प्रक्षेपास्त्र का विकास १९९१ मे के-१५ के गुप्तनाम से शुरु हुआ था। सागारिका भारतीय सेना में शामिल एक परमाणु हथियारों का वहन करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र है जिसे पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसकी सीमा ७०० किमी (४३५ मील) है।
के-४ एक परमाणु क्षमता सम्पन्न मध्यम दूरी का पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जाने वाला प्रक्षेपास्त्र है| इस प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता ३५०० किमी है। के-४ का विकास तब शुरु हुआ जब इसी तरह की क्षमताओं वाली अग्नि-३ मिसाइल को आई एन एस अरिहंत में लगाने में तकनीकी समस्याएँ उतपन्न हुईं। अरिहंत के हल का व्यास १७ मीटर है जिसमें अग्नि ३ फिट नहीं हो पाती, इसलिये के-४ का विकास शुरु किया गया जिसे अग्नि-३ जैसी क्षमताओं के साथ ही अरिहंत में फिट होने जैसा बनाया गया। इसकी लम्बाई मात्र १२ मीटर है। के-४ के गैस प्रक्षेपक का २०१० में एक पंटून (छोटी पनडुब्बी) से सफलता पूर्वक परीक्षन किया गया।
पनडुब्बी बैलिस्टिक मिसाइल का शुभारंभ किया। (विकास जारी है)
शौर्य प्रक्षेपास्त्र एक कनस्तर से प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। इसकी मारक सीमा ७५०-१९०० किमी है| तथा ये एक टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह किसी भी विरोधी के खिलाफ कम – मध्यवर्ती श्रेणी में प्रहार की क्षमता देता है।
ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता। इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है। यहाँ तक की अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फिसड्डी साबित होती है। रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।
एयर क्रूज मिसाइल
मिनी संस्करण ब्रह्मोस (मिसाइल) पर आधारित है।
ब्रह्मोस-२ नाम से हाइपर सोनिक मिसाइल भी बनाई ja रही है जो 7 मैक की गति से वार करेगी। भारत अपनी स्वदेशी सबसोनिक मिसाइल निर्भय भी बना रहा है। ब्रह्मोस-२ करीब 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 290 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्य भेद सकेगी।
सूर्य भारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है। सूर्य भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्य की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है।
दृश्य सीमा से परे यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। यह उन्नत प्रक्षेपास्त्र लड़ाकू विमानचालको को ८० किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और मार गिराने की क्षमता देता है।
DRDO, एंटी रेडिएशन (विकिरण रोधी) मिसाइलों का निर्माण कर रहा है यह दुश्मन के रडार और अन्य ऊर्जा ट्रांसमीटरों को नष्ट कर देते हैं।
निर्भय सभी मौसम के अनुकूल, कम लागत, लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है| यह परंपरागत और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। मिसाइल, 1000 से अधिक किलोमीटर की सीमा में 1500 किलो वजन ले जा सकता है और यह 6 मीटर की लंबाई का होता है।
निर्भय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा बनाया गया है और भारत में विकसित एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल है।
प्रहार, हर मौसम में, हर इलाके में, बहुत सटीक, काम लागत, त्वरित प्रतिक्रिया सम्पन्न सामरिक हथियार प्रणाली है। यह मिसाइल कम दूरी के सामरिक युद्ध के मैदान में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की अपेक्षाओं को पूरा करता है । यह मोबाइल प्रक्षेपण लांच पैड से छह मिसाइलें छह अलग अलग लक्ष्यों पर पूरे दिगंश (azimuth plane) को कवर करते सभी दिशाओं में दागा जा सकता है |
नाग, तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक मिसाइल भारत में विकसित है। Helina, (हेलीकाप्टर प्रक्षेपित-नाग) 7-8 किलोमीटर की दूरी के मारक क्षमता के साथ एचएएल ध्रुव और हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर से लांचर से प्रक्षेपित किया जा सकता है |
हेलिना ‘नाग’ का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है और इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है । नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है। इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी-2 नमिका से भी इस मिसाइल का दागा जा सकेगा।
हवा में मिसाइल को लंबी दूरी की सतह।
भारत सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का विकास करने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस एवं इजराइल के पास इस तकनीक की मिसाइल मौजूद हैं.
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम विकसित करने और देश को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने के लिए एक बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की आवस्यकता के तहत इंटरसेप्टर मिसाइल का निर्माण किया गया।
मुख्य रूप से पाकिस्तान से बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को ध्यान में रख एक दो-स्तरीय दो इंटरसेप्टर मिसाइलों का निर्माण किया गया । उच्च ऊंचाई अवरोधन के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) मिसाइल, और उन्नत वायु रक्षा (AAD) प्रणाली से कम ऊंचाई अवरोधन के लिए मिसाइल विकसित किया गया है। पैड दिसंबर 2007 में नवंबर 2006 में परीक्षण किया गया था, यही पैड इंटरसेप्टर मिसाइलों को प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर कहा जाता है |
उन्नत वायु रक्षा (AAD) प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर / विरोधी विमान भेदी मिसाइल। दोनों ही मिसाइलों को इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) के जरिए गाइड किया गया।
साढे़ सात मीटर लंबी इस मिसाइल में सिंगल स्टेज सॉलिड रॉकेट है जिसमें नेविगेशन सिस्टम भी है। इस इंटरसेप्टर मिसालइ का अपना मोबाइल लॉंचर औऱ निजी ट्रेकिंग सिस्टम है। इसके राडर काफी संवेदनशील हैं। बताया जा रहा है कि अश्विन मिसाइल के सफल परीक्षण से अमरीका, रूस और इस्राईल के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्लब में भारत की स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गई है।
त्रिशूल भारत द्वारा विकसित एक कम दूरी की सतह से हवा में मिसाइल है | त्रिशूल 9 किमी (5.6 मील) मारक क्षमता का ठोस ईधन वाला प्रक्षेपास्त्र है। | त्रिशूल 130 किलो (290 पौंड) वजन का होता है और एक बार में 15 किलो युद्ध विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। त्रिशूल सुपरसोनिक गति से उड़ता है।
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Hats off to Indian misail
strong. India. jay. ho.