स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी यानि सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) उन छह पनडुब्बियों में से दूसरी पनडुब्बी है, जिसका निर्माण एमडीएल में फ्रांस की मेसर्स डीसीएनएस के साथ मिलकर किया जा रहा है।
यह भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट 75’ का हिस्सा है। पहली पनडुब्बी कल्वारी समुद्री परीक्षण पूरे कर रही है और उसे जल्दी ही नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा को इस साल आठ दिसंबर को 50 साल पूरे हो जाएंगे।
सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसे जल और स्थल दोनों जगह से लॉन्च किया जा सकता है. यानि सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) पानी के भीतर से भी दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम है.
सिर्फ इतना ही नहीं दुश्मन चाहे कितनी भी कोशिश कर ले वो सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) की चाल को नहीं जान पाएंगे, यानि रडार भी सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) को डिटेक्ट नहीं कर पाएगा.
बनावट के लिहाज से सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) का ढ़ाचा बेहद ही जटिल है. इसके ढ़ाचे को अलग-अलग सेक्शन में तैयार किया गया था. इसके अंदर कई किलोमीटर के तार और पाइप को बहुत ही कम जगह में सेट किया गया है.
पानी के अंदर या सतह पर तारपीडो के साथ-साथ पोत-रोधी मिसाइलों से वार करने और रडार से बच निकलने की क्षमता से लैस स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खान्देरी को आज मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में लॉन्च किया गया।
एक खास बात और कि इस सबमरीन के अंदर डीजल से चलने वाला इलेक्ट्रीक इंजन लगा हुआ है. जिसके कारण यह ज्यादा देर तक पानी में के भीतर चार्ज नहीं रह पाएगा. इसलिए इसे वापस पर सतह पर लाकर इसके बैटरी को खास तरह के पाइप्स के जरिए चार्ज करना पड़ेगा.
सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) विभिन्न प्रकार के अभियानों को अंजाम दे सकती है। इन अभियानों में सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, क्षेत्र की निगरानी करना शामिल है।
भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से है जो पनडुब्बी का निर्माण करते हैं. इस पनडुब्बी का निर्माण भारत में किया गया है और सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) को मडगांव डॉक लिमिटेड ने फ्रांस के डिफेंस ग्रुप डीसीएनएस के साथ मिलकर तैयार किया है. जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच तकनीक का आदान-प्रदान करना है.
नेवी के मुताबिक सबमरीन खांदेरी (Submarine Khanderi) एक किले खांदेरी के नाम पर है जहां मराठा लड़ाकों का किला है, जिन्होंने सत्रहवी शताब्दी के दौरान समुद्र पर अपना आधिपत्य कायम रखने में अहम भूमिका निभाई थी. खान्देरी का नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर आधारित है। इस किले ने 17वीं सदी के अंत में समुद्र में उनके वर्चस्व को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी।
खांदेरी किले का निर्माण वर्ष: 1660
खांदेरी किले के निर्माणकर्ता: छत्रपति शिवाजी महाराज
खांदेरी किले के रचनाकार: छत्रपति शिवाजी महाराज
पहली भारत-निर्मित पनडुब्बी आईएनएस शाल्की के साथ भारत सात फरवरी 1992 को पनडुब्बी बनाने वाले देशों के विशेष समूह में शामिल हुआ था।
यह पनडुब्बी दिसंबर तक समुद्र में और पत्तन में यानी पानी के अंदर और सतह पर परीक्षणों से गुजरेगी। इसमें यह जांचा जाएगा कि इसका प्रत्येक तंत्र पूर्ण क्षमता के साथ काम कर रहा है या नहीं। इसके बाद इसे आईएनएस खान्देरी के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
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