वानस्पतिक नाम: क्रोकस सैटिवस Crocus sativus
अंग्रेज़ी नाम: saffron
संस्कृत नाम: अग्निशाखा, केसर, कंकुमा, अरुणा, अस्रा, असरिका
परिवार: इरिडेसी
वाणिज्यिक अंग: स्टिग्मा (वर्तिकाग्र)
-केसर क्रोकस सैटिवस पौधे के सूखे वर्तिकाग्र से प्राप्त किया जाता है। यह एक प्रकन्दीय, चिरस्थाई पौधा है जिसके गसेलाकार घनकंद, और 15-20 से.मी. ऊँचाई होती है।
-Saffron के परागोद्भव में 6 पत्ते होते है । 2.5 – 3.2 से.मी. की वर्तिका शाखाएँ और 3.5 – 5 से. मी. परिदल पुंज फांक वाले नीलक बैंगनी रंग के एक या दो फूल खिलते है|
-फूल के त्रि-पिण्डक वर्तिका कलिकाओं सहित वाणिज्यिक महत्ववाला केसर बनता है।
-इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1374 में स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया के बीच केसर की वजह से युद्ध हुआ था जो 15 हफ्तों तक चला था। यह युद्ध काफी चर्चित है जिसे ‘सैफ्रान वार’ के नाम से जाना जाता है।
-इसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है, यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान, ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में जम्मू किस्तवार – कश्मीर पामपुर एवं हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में पैदा होता हैं।
-केसर उपोष्णीय जलवायु में अच्छी तरह पनपता है। स्पेइन में 40 से.मी. से कम वार्षिक वर्षपातवाली शुष्क शीतोष्ण जलवायु में यह बढवाया जाता है। यह 2000 मीटर एम एस ए की उत्तुंगता पर बढता है।
-हल्का अम्लीय से उदास, कंकडी, दुम्मटी, रेतीली मिट्टी केसर की खेती केलिए उपयुक्त है।
-केसर खाद्य पदार्थों की सुगंध और स्वाद में इजाफा करता है। केसर को खीर, बिरयानी, मिठाई और दूध आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है। दूध में केसर मिलाकर पीने से त्वचा का सांवलापन दूर होता है।
-विशिष्ट ब्रेड, केक, मिष्ठान्नों, मुगल पकवानों में भी इसका प्रयोग होता है।
-औषध में केसर बुखार, विषादरोग एवं जिगर और प्लीहा के परिवर्ध्दन में उपयोगी है
-आयुर्वेद में संधिवात, नामर्दी एवं बाँझपन की चिकित्सा में काम लाया जाता है। चीनी एवं तिब्बती औषधियों में इसकी विभिन्न उपयोगिताएँ हैं।
– चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है|
-सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
-बच्चें को अगर सर्दी और जुकाम की समस्या हो तो केसर का दूध सुबह-शाम पिलाने से बच्चे की सर्दी और जुकाम में राहत मिलेगी।
-महिलाओं के लिए केसर बहुत फायदेमंद होता है। महिलाओं की कई शिकायतें जैसे – मासिक चक्र में अनियमिता, गर्भाशय की सूजन, मासिक चक्र के समय दर्द होने जैसी समस्याओं में केसर का सेवन करने से आराम मिलता है।
-केसर और दूध का मिलाप काफी चर्चित है, यह कई तरह की शारीरिक परेशानियां तो दूर करता ही है। साथ ही हमें ऊर्जा भी देता है, ताकि अनचाही छोटी-छोटी बीमारियों से बचा जा सके।
-त्वचा के झुलसने या चोट लगने पर केसर के लेप लगाना चाहिए। इससे तुरंत फायदा होता है और नई त्वचा का निर्माण जल्द होता है।
-केसर में ‘क्रोसिन’ नाम का तत्व पाया जाता है, जो वैज्ञानिक रूप से बुखार को दूर करने में उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही यह एकाग्रता, स्म रण शक्ति और रिकॉल क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है। इतना ही नहीं, आंखों की परेशानी दूर करने में भी मददगार है केसर।
-किडनी और लिवर के लिए भी केसर काफी फायदेमंद होता है। यह ब्लैडर और लिवर की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। और रक्त शुद्धिकरण करता है।
-अर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी केसर बहुत लाभकारी होता है। यह जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाता है। यह थकान को दूर करने और मांसपेशियों को राहत पहुंचाने का काम करता है।
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