#अडूसा का लैटिन नाम: आधाटोडा वासिका
संस्कृत नाम: वासा, वासक, अटरूप
हिन्दी नाम: अडूसा
अंग्रेजी नाम: मालाबार नट
अडूसा प्रकार: 1. श्वेतवासा 2. कृष्णवासा
यह स्वाद में कड़वा, कसैला, पचने पर कटु तथा हल्का, रूक्ष, शीतल है।
अडूसा (वासा) कीटाणु-नाशक, पीड़ाहर, शोथहर, स्तम्भक, दस्त आदि रोकने वाला, हृदयोत्तेजक, मूत्रजनक, चर्मविकारहर तथा रसादि धातुओं की क्रियाओं को ठीक करने वाला है।
इसकी पतियों में 2 से 4 % तक वासिकिन नामक एक तिक्त एल्केलाइड होता है। और इसेंशियल आइल, वासा अम्ल, राल, वसा, शर्करा, अमोनिया व अन्य पदार्थ भी मिलते हैं।
इसमें प्रचुर मात्रा में पोटेशियम नाइट्रेट लवण पाए गए हैं। जड़ में वासिकिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
यह एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है।
समस्त भारत में अडूसा के झाड़ीदार पौधे पाए जाते हैं।
अडूसा का पौधा 4-10 फुट तक ऊँचा होता है।
इसके पत्ते 3 से 8 इंच तक लंबे और डेढ़ से साढ़े तीन इंच चौड़े अमरुद के पत्तो जैसे होते है |
पत्ते नोकदार, तेज गंधग्युक्त, कुछ खुरदुरे हरे रंग के होते हैं।
अडूसे के फुल 2.5 सेमी. से 7.5 सेमी. लम्बे सफेद वर्ण के द्विफलकीय मंजरियो में लगे होते है|
अडूसे की फली 2 सेमी. लम्बी रोमस होती है जिसके अंदर 4 – 4 बीज होते है|
जोड़ों का दर्द में उपयोग:
अडूसा के पत्तियों को गर्म करके दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द में आराम मिलाता है।
क्षय (टी.बी.) रोग में फायदे एवं उपयोग:
वासा के रस में शहद मिलाकर पीने से अधिक खांसी युक्त श्वास में लाभ होता है। यह क्षय, पीलिया, बुखार और रक्तपित्त में लाभकारी होता है।
अडूसा के फूलों का चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 गिलास दूध के साथ सुबह-शाम 6 माह तक नियमित रूप से खिलाएं।
अडूसा की जड़ की छाल को लगभग आधा ग्राम से 12 ग्राम या पत्ते के चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक खुराक के रूप में सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
खांसी में फायदे एवं उपयोग:
अडूसे के पत्तों का रस आधा चम्मच और उतनी ही शहद मिलाकर रोज सुबह शाम सेवन करने से कुछ दिनों में ही खासी में लाभ होता है।
दमा रोग में फायदे एवं उपयोग:
श्वास रोग (दमा) में अड़ूसे के पत्तों का धूम्रपान करने से श्वास रोग ठीक हो जाता है।
अडूसे के पत्ते के साथ धतूरे के पत्ते को भी मिलाकर धूम्रपान किया जाए तो अधिक लाभ प्राप्त होता है।
अड़ूसा के सूखे पत्तों का चूर्ण चिलम में भरकर धूम्रपान करने से दमा रोग में बहुत आराम मिलता है।
प्रदर रोग की समस्या:
प्रदर रोग की समस्या में अडूसा के जड़ को कूटकर उसका रस निकालकर शहद के साथ रोजाना लेने से प्रदर रोग दूर होता है।
मुंह के छाले में फायदे एवं उपयोग:
अडूसा के पत्तों को पान के समान चबाकर उसके रस को चूसने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
दांत रोग में फायदे एवं उपयोग:
अडू़से के लकड़ी से नियमित रूप से दातुन करने से दांतों के और मुंह के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
अडूसे (वासा) के पत्तों के काढ़े यानी इसके पत्तों को उबालकर इसके पानी से कुल्ला करने से मसूढ़ों की पीड़ा मिटती है।
सिर दर्द में फायदे एवं उपयोग:
चाय की पत्ती की जगह अडूसा की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर चीनी की जगह चुटकी-भर सेंधानमक मिलाकर छान लें, फिर गर्म-गर्म चाय की तरह दिन में 2-3 बार सेवन करें।
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