संसार में समलैंगिकों और LGBTQI ने मानवाधिकार के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है जहां पर तमाम लोग अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो रहे हैं तो इस समय भारत जैसे सामाजिक रूप से सभ्य देश देश में भी ऐसे विषयों के बारे में जिज्ञासा बढ़ी है परंतु इसके बारे में बहुत सही सटीक एवं अच्छी जानकारियों का आभाव है यही कारण है कि मैंने इस विषय को सरलीकृत करके आप लोगों के साथ शेयर करने का प्रयास कर रहा हूँ ।
किसी LGBTQI को समझने से पहले हमें सेक्स (यौन अभिविन्यास) और जेंडर (लिंग) में फर्क को समझना पड़ेगा । सेक्स (यौन अभिविन्यास) और जेंडर (लिंग) दोनों ही एकदम अलग-अलग बातें हैं ।
यौन अभिविन्यास शब्द का प्रयोग व्यक्ति की अंतर्निहित यौन वरीयता का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
यह समान या विपरीत लिंग के प्रति सुसंगत यौनिकतापूर्ण उत्तेजना दर्शाता है जिसमें, कल्पना, सचेत आकर्षण, भावनात्मक और रोमांटिक भावनाएं और यौन व्यवहार भी शामिल हैं। दिमाग से सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति को मुख्यतः विषमलिंगी, समलैंगिक, उभयलिंगी या अलैंगिक में एक माना जाता है ।
सेक्स (यौन अभिविन्यास) हमारे दिमाग से जुड़ा विषय है और जेंडर यानि लिंग, शरीर के अंग से पहचान का विषय है ।
सामान्यतया कोई पुरुष पैदा होता है तो उसके लिंग यानि पेनिस होता है और उसके बड़े होने के साथ ही साथ उसके मन में पुरुषवादी विचार तथा पुरुष के रूप में सेक्स (यौन अभिविन्यास) भावना पैदा होती है यानि उसका जेंडर और सेक्स दोनों पुरुष हैं ।
एक स्त्री में जेंडर के रूप में योनि और स्तनों का विकास होता है तथा मानसिक रूप से स्त्रियोचित भावना और स्त्री के रूप में सेक्स भावनाओं का विकास होता है । यानि सामान्य रूप से संसार में योनि, स्त्रीत्व का और लिंग, पुरुष सेक्स का परिचायक माना जाने लगा ।
संसार में कुछ लोग ऐसे भी पैदा होते हैं जो पुरुष के रूप में पैदा होते हैं यानि उनका जेंडर पुरुष का होता है पर दिमाग में भावनाएं, विचार यानि उनका सेक्स स्त्री का होता है । और कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जिनके पास योनि और स्तन तो होते हैं परंतु उनके मन में पुरुषवादी विचार होते हैं यानि उनका सेक्स पुरुष का होता है ।
संसार में कुछ लोग ऐसे भी पैदा होते हैं जो पुरुष के रूप में पैदा होते हैं यानि उनका जेंडर पुरुष का होता है पर दिमाग में भावनाएं, विचार यानि उनका सेक्स स्त्री का होता है । और कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जिनके पास योनि और स्तन तो होते हैं परंतु उनके मन में पुरुषवादी विचार होते हैं यानि उनका सेक्स पुरुष का होता है ।
यौन अभिविन्यास को एक जटिल घटना माना जाता है जिस पर जैविक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक कारकों का प्रभाव पड़ता है। सामान्य तौर पर, लोगों का व्यवहार उन सामाजिक मानदंड़ों द्वारा नियंत्रित होता है जो यह निर्धारित करते हैं कि जीवन कैसे जीना चाहिए।
आमतौर पर माना जाता है कि समाज में विषमलैंगिकों व समलैंगिकों की आबादी पृथक है। लेकिन सच यह है कि विषमलैंगिकता और समलैंगिकता किसी भी व्यक्ति के जीवन चरण हो सकते हैं। एक विषम लैंगिक व्यक्ति का समलैंगिक होना या इसके विपरीत होने की पूरी संभावना होती है।
सेक्स जैविक मतभेद को संदर्भित करता है जैसे गुणसूत्रों, हार्मोनल प्रोफाइल, आंतरिक और बाह्य यौन अंगों को |
लिंग एक समाज या संस्कृति के रूप में पुरुष या स्त्री की तय रूपरेखा के अनुसार पहचान है। जैसे की स्तन और योनि स्त्री और लिंग पुरुष की पहचान है |
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Thanks aapne Hume bhout acchi information di hai aapki bjahe se meri life ki subse BRI confusion duer ho gai hai thanks