History

एक अदूरदर्शी विफल शासक पृथ्वीराज चौहान

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चौहान वंश का पृथ्वीराज तृतीय जिसे हम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर जानते हैं उसे मैं एक निहायत ही दंभी, अदूरदर्शी हठी व्यक्ति के अलावा कुछ भी नहीं मानता हूं । और मुझे लगता है कि यदि उस समय में चौहान वंश की बागडोर किसी और के हाथ में रही होती तो हमारा देश तुर्कों का गुलाम नहीं बना होता ।

पृथ्वीराज वास्तव में चौहान वंश का सबसे प्रसिद्ध एवं काबिल शासक नहीं था । चौहान वंश के सबसे बुद्धिमान एवं दूरदर्शी शासक मैं विग्रहराज चतुर्थ को मानता हूं जिसका काल 1153 से 63 था । विग्रहराज चतुर्थ ने गुजरात के कुमारपाल को हराकर अपने पिता की हार का बदला लिया ।

विग्रहराज चतुर्थ में दिल्ली पर पूर्ण अधिकार प्राप्त किया और इस तरह से पंजाब, राजपूताना और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों को जीतकर उसने चौहान वंश के अधीन किया । जबकि पृथ्वीराज चौहान ने अपने समय में अत्यधिक कम महत्व वाले अलवर भिवानी और रेवाड़ी को अपने कब्जे में किया ।

तुर्को के आक्रमण के दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो विग्रहराज अधिक दूरदर्शी शासक था एवं तुर्कों के द्वारा विज़ित किए हुए क्षेत्र यद्यपि विग्रहराज चतुर्थ की सीमा से नहीं लगती थी फिर भी विग्रहराज ने उसको भविष्य के संकट की तरह माना और तुर्कों के विरुद्ध तमाम सीमावर्ती राजाओं को सैनिक शक्ति प्रदान कर तुर्को के आक्रमण को विफल करता रहा जबकि इसके विपरीत पृथ्वीराज चौहान मात्र एक संकीर्ण शासक निकला जिसने तुर्कों के विरुद्ध कोई कार्यवाही तब तक नहीं किया जब तक की तुर्कों ने पश्चिम पंजाब पर कब्जा कर नहीं लिया ।

एक और जहां विग्रहराज चतुर्थ ने बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाने वाले राजपूताना तथा मालवा को अपने अधीन कर लिया वहीं दूसरी ओर पृथ्वीराज चौहान अपने सीमावर्ती शासकों के साथ मात्र अनिर्णीत युद्ध एवं शांति समझौते ही करता रहा ।

और अंततः पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी अदूरदर्शिता तब साबित हुई जबकि मोहम्मद गौरी को उसने तराईन के प्रथम युद्ध में हरा दिया और साथ ही जिंदा छोड़ दिया ।

परमार्दिदेव को रात्रि आक्रमण में पराजित करना और आल्हा उदल से युद्ध के कारण हम कह सकते हैं कि पृथ्वीराज चौहान निसंदेह एक निर्भीक और बहादुर व्यक्ति था परंतु रासो साहित्य में अपनी प्रशंसा से उसे सबसे ज्यादा लगाव था वहीं दूसरी ओर उसे एक इतिहास प्रसिद्ध शासक बनने की कामना भी अधिक थी यही कारण है कि वह एक प्रसिद्ध शासक तो बना परंतु दूरदर्शी शासकों में उसकी गिनती नहीं होती है ।

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Shivesh Pratap

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