Indian Railways

भारतीय रेल का स्वर्णिम इतिहास | History of Indian Railways in Hindi

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भारतीय रेल का स्वर्णिम इतिहास | History of Indian Railways in Hindi

1843: लार्ड डलहौजी ने रेलवे संचार के साधन के द्वारा भारत को जोड़ने की संभावना की कल्पना की। यह कल्पना भारत में फैली हुई असीम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर ब्रिटेन को समृद्ध करने के लिए थी | अनाज, बहुमूल्य लकड़ियां, मसाले, फल, कोयला, लोहा जैसे तमाम बहुमूल्य बस्तुओं के ब्रिटिश निर्यात पर जबरदस्त उछाल आया |

1844: रेलवे के निर्माण के लिए पहला प्रस्ताव पास किया गया।

1847: लार्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया।

1849: क्रमश: कोलकाता और मुंबई में EIR और GIPR (ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे) द्वारा प्रयोगात्मक (पायलट प्रोजेक्ट) लाइन की स्थापना के लिए समझौते किए गए । ब्रिटैन को निर्यात की दिशा में बंदरगाह वाले शहर कलकत्ता और बम्बई से शुरुआत किया गया |

1850: हर जगह के अलग अलग “गेज की लड़ाई” के बाद सर्व सम्म्मति से 5’6″ के मानक गेज को अपनाया गया।

1851-52: सबसे पहला स्टीम लोकोमोटिव भाप इंजन “थॉमसन” (जनरल गेज 4′ 8.1/2″) और ब्रॉड गेज का “लार्ड फ़ॉकलैंड” (5′ 6″) भारत पंहुचा |

1853: 16 अप्रैल को 3:35 बजे, ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की पहली यात्री ट्रेन बंबई में बोरी बंदर स्टेशन (वर्तमान दिन CST, मुंबई) से थाना (Tannah)  के लिए (वर्तमान दिन ठाणे) को चलाया गया। इस ट्रेन ने सत्तावन मिनट में अपनी यात्रा पूरी किया। इसने 21 मील (33.8 किमी) की दूरी तय की। सुल्तान, सिंध और साहिब नाम के तीन इंजनों ने 14 बोगियों में 400 यात्रियों को गन्तव्य पर पहुचाया।

1854: हावड़ा से हुगली के लिए कलकत्ता क्षेत्र में पहली बार रेल चली।

1855: लोकप्रिय फेयरी क्वीन स्टीम इंजन सेवा में आया।

1856: मद्रास क्षेत्र में वेयसरपुडी से वालाजाह रोड (आर्कोट) को रेल पहली बार चलाया गया|

1856-1865: सुरंग रेल निर्माण कार्य पूर्ण हुआ | भोर घाट और थूल घाट (वर्तमान कसारा घाट) के चुनौतीपूर्ण निर्माण हुआ। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ने पुणे और मुंबई को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण किया। 28 सुरंगों, और पुराने पुलों के साथ भोर घाट के माध्यम से यह खंड 1863 में खोला गया था। थूल घाट (Thul  Ghat) पश्चिमी घाट भुसावल-कल्याण लाइन में पहाड़ी ढलानों की एक श्रृंखला है।

1863: रंगोटी (Ramgotti) भाप इंजन द्वारा EIR में 4′ गेज लाइन के नलहाटी रेलवे पर काम शुरू किया गया |

1866-1872: कलकत्ता को दिल्ली, अमृतसर और बम्बई के साथ जोड़ा गया। बम्बई को मद्रास, कोचीन आदि के साथ जोड़ा गया, पूर्व में जमालपुर कार्यशालाऔर पश्चिम में परेल वर्कशॉप में  रोलिंग स्टॉक आदि के रखरखाव के लिए काम शुरू हुआ |

1870: खामगांव पहला स्टेट रेलवे वाला राज्य बना |

1873: पहला मीटर गेज लाइन दिल्ली से फरुखनगर लिए खोला गया। फर्रुखनगर, हरियाणा राज्य के गुड़गांव जिले में नगर पालिका है।

1873: प्रथम नैरो गेज 2’6″ लाइन गायकवाड़ बड़ौदा राज्य रेलवे द्वारा शुरू कर दिया।

1874-1879: खतरनाक अकाल के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में रेल द्वारा भोजन और पानी की आपूर्ति की गई।

1881: पहली पहाड़ी रेलवे (DHR नैरो गेज -2 ‘) दार्जिलिंग की दिशा में खोला गया। DHR: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे

1887: संसार के सबसे सुंदर ऑफिस में से एक बंबई V.T. के कार्यालय भवन का निर्माण किया गया।

1907: “जीरो” गेज महाराजा पटियाला (मोनो रेल-PSMT) द्वारा शुरू कर दिया है और यह अभी भी राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली में काम करता है।

1925: पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन GIPR (ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे) द्वारा शुरू की। रेल वित्त संगठन को मजबूत बनाने के लिए जनरल फाइनेंस से अलग कर दिया गया।

1945: पहली बार डीजल इंजन पूर्व भारतीय रेलवे (East Indian Railway) द्वारा शुरू किया गया।

1947-1951: भारतीय रेल के गठन और क्षेत्रीय रेलों में विभाजन।

1971: राष्ट्रीय रेल संग्रहालय की नींव, दिल्ली में माननीय राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरि द्वारा रखी गई थी। वी.वी. गिरि १ फरवरी को जनता के लिए राष्ट्रीय रेल संग्रहालय खोला। संग्रहालय संरक्षण और हेरिटेज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है यह शिक्षा और मनोरंजन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।

1984: कलकत्ता में पहली मेट्रो रेल प्रारम्भ।

1998: फेयरी क्वीन को संसार का सबसे पुराना कार्यरत स्टीम लोकोमोटिव होने के लिए गिनीज बुक विश्व रिकार्ड प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था।

1999: पहली पहाड़ी रेलवे (DHR नैरो गेज -2 ‘) दार्जिलिंग को विश्व विरासत स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा प्रमाणित किया गया।

1999: दिल्ली मुख्य स्टेशन का नाम गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल | 1000 रिले, 1,122 सिग्नल के साथ इसे दुनिया का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलाकिंग प्रणाली माना गया|

2011: भारतीय रेल यात्रियों की 8,९० करोड़ से अधिक की सालाना यात्रा यानि 24 लाख यात्रियों को दैनिक यात्रा के साथ माल ढुलाई के 2.8 करोड़ टन दैनिक का कीर्तिमान रेलवे के पास है।

2012: भारतीय रेल ने 25 लाख से अधिक दैनिक यात्रियों को गंतव्य पर पहुँचाया।

कोच्चि, केरल, में वल्लारपदम रेलवे लिंक भारत में सबसे लंबा रेल पुल है। 4.62 किलोमीटर लंबा रेल पुल, 8.86 किमी रेल खंड का हिस्सा है जो एडाप्पल्ली( कोच्चि शहर में एक उपनगर) के साथ वल्लारपदम द्वीप को जोड़ता है | यह इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) को जोड़ने वाले इस कॉरिडोर का हिस्सा है।

2013: भारतीय रेलवे कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से 14 लाख से अधिक कर्मचारियों के साथ दुनिया का नौवां सबसे बड़ा वाणिज्यिक या उपयोगिता नियोक्ता (utility employer) है।

रोलिंग स्टॉक के रूप में, भारतीय रेलवे 239,281 से अधिक माल डिब्बों, 59713 यात्री डिब्बों और 9549 लोकोमोटिव (43 भाप, ५१९७ डीजल और 4309 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव) रखती है।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और भारत की पर्वतीय रेल – भारतीय रेलवे के दो स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल।

2014: माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर भारत के नई रेल परियोजनाओं के लिए 28000 करोड़ रुपये केंद्र से मंजूर किये।

अभूतपूर्व इंजीनियरिंग का प्रदर्शन करते हुए, भारतीय रेल ने जम्मू-कश्मीर राज्य के उधमपुर-कटरा ब्रॉड गेज लाइन को पूरा किया।

दूधसागर झरना गोवा-कर्नाटक की सीमा के पास मांडवी नदी पर स्थित एक जलप्रपात है।

2015: भारत सरकार ने अहमदाबाद-मुंबई पहली बुलेट ट्रेन परियोजना को जापान के सहयोग से शुरू कर दिया।

(स्रोत: भारतीय रेल)

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Shivesh Pratap

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