नाम: फ्रेडरिक नीत्शे (Friedrich Wilhelm Nietzsche)
जन्म: 15 अक्टूबर 1844 लाइपज़िग के निकट रोएकन नामक ग्राम में एक प्रोटेस्टेट पादरी के परिवार में हुआ था।
राष्ट्रीयता: जर्मन
कार्यक्षेत्र: Cultural critic, Poet, Philosopher
मृत्यु: 25 अगस्त 1900 (उम्र 55) वाइमर, सैक्सनी, जर्मनी
“ज़रथुस्त्र की वाणी” (Also sprach Zarathustra) विश्व की श्रेष्ठतम साहित्यिक कृतियों में गिनी जाती है|
“पुण्य और पाप के आगे” (Jenseits von Gut und Bose)
“मूल्यों की परंपरा” (Zur Genealogie der Moral)
“मैं उस ईश्वर में यकीन नहीं का सकता जो हमेशा प्रशंसा सुनना चाहता हो।”
“मैं इसलिए दुखी नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए दुखी हूँ कि अब मैं तुम पर यकीन नहीं कर सकता।”
बुरी यादाश्त का ये फायदा है कि कोई एक ही अच्छी चीज का बार-बार पहली बार आनंद उठाता है।
जो प्रेमवश किया जाता है वो हमेशा अच्छे-बुरे से परे होता है।
वो सांप जो अपना केंचुल नहीं छोड़ सकता उसे मरना होता है। उसी तरह जो माइंड अपने ओपिनियनस नहीं बदल सकते; वे माइंड नहीं रह जाते।
हकीकत में, केवल एक ही क्रिस्चियन था और वो क्रॉस पे मर गया।
जब हम थक जाते हैं, तब हम उन विचारों द्वारा अटैक किये जाते हैं जिन्हें हम बहुत पहले जीत चुके होते हैं।
कोई भी आपके लिए उस पुल का निर्माण नही कर सकता है जिसपे चढ़ कर आप जीवन की धारा को पार कर सकें, कोई नहीं बस आप अकेले ऐसा कर सकते हैं।
वो जिसके पास जीने का कारण है कुछ भी सहन कर सकता है।
ज्ञानी व्यक्ति को सिर्फ अपने दुश्मनों से प्रेम ही नहीं बल्कि अपने दोस्तों से नफरत भी करने में सक्षम होना चाहिए।
मनुष्य सबसे क्रूर जानवर है।
सभी चीजें व्याख्या के अधीन हैं। किसी समय कौन सी व्याख्या मान्य होती है ये शक्ति पर आधारित होता है सत्य पर नहीं।
हमे हर उस दिन को खोया हुआ समझना चाहिए जिस दिन हमने एक बार भी डांस ना किया हो।
बिना भयानक गहराइयों के कोई सुन्दर सतहें नहीं हैं।
आपकी अंतरात्मा की आवाज़ क्या कहती है? ‘ आपको वो व्यक्ति बन जाना चाहिए जो आप हैं’|
शायद मैं सबसे अच्छा कारण जानता हूँ कि क्यों अकेला मनुष्य ही है जो हँसता है; क्योंकि केवल वही है जो इतनी अधिक पीड़ा उठाता है कि उसने हंसी का आविष्कार कर लिया है।
कोई तथ्य नहीं हैं, केवल व्याख्याएं हैं।
विचार हमारी भावनाओं के साये हैं – हमेशा गहरे, खाली और सरल।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, वो जो जानना चाहते हैं, और वो जो यकीन करना चाहते हैं।
कभी-कभी लोग इसलिए सच नहीं सुनना चाहते क्योंकि वे अपने भ्रम को टूटने नहीं देना चाहते।
क्या आदमी केवल भगवान की एक गलती है? या भगवान केवल आदमी की एक गलती है?
मौन बदतर है; सभी सत्य जिन्हें मौन रखा जाता है जहरीले बन जाते हैं।
आस्था: ये ना जानना चाहना कि सच क्या है।
जो कोई भी राक्षसों से लड़ता है उसे ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कहीं वो खुद ही राक्षस ना बन जाए । और अगर आप लम्बे समय तक खायी को घूरते हैं तो खायी भी आपको घूरने लगेगी।
स्वर्ग में, सारे इंट्रस्टिंग लोग मिसिंग हैं।
हमेशा की तरह आज भी, लोग दो ग्रुप्स में होते हैं: गुलाम और आजाद मनुष्य। जिस किसी के पास भी दिन का दो-तिहाई हिस्सा खुद के लिए नहीं है, वो गुलाम है; चाहे वो जो भी हो: एक राजनेता, एक बिजनेसमैन, एक अधिकारी, या एक विद्वान्।
अदृश्य धागे सबसे मजबूत बंधन होते हैं।
मुझे केवल कागज़ का एक टुकड़ा और लिखने के लिए कुछ चाहिए, और तब मैं दुनिया को उलट सकता हूँ।
जितना ऊँचा हम उड़ते हैं उतना ही ना उड़ पाने वालों को छोटे लगते हैं।
सभी सचमुच महान विचार चलते वक़्त आते हैं।
ये प्यार की कमी नहीं, बल्कि दोस्ती की कमी है जो शादियों को दुखदायी बनाती है।
सच्चा आदमी दो चीजें चाहता है: खतरा और खेल। इसी कारण से वो महिलाओं को सबसे खतरनाक खेलने की चीज के रूप में चाहता है।
प्यार में हमेशा कुछ पागलपन होता है। लेकिन पागलपन में हमेशा कोई कारण होता है।
किसी युवक को भ्रष्ट करने का पक्का तरीका है कि उसे ये निर्देश दो कि वो उससे अलग सोचने की बजाये उनका खूब सम्मान करे जो उसकी तरह सोचते हों।
संगीत के बिना, जीवन एक गलती होगी।
अपने बारे में अधिक बात करना भी अपने आप को छुपाने का एक साधन हो सकता है।
प्यार अँधा होता है। दोस्ती अपनी आँखे बंद कर लेती है।
जब भी मैं चढ़ता हूँ मेरे पीछे “अहंकार” नाम का एक कुत्ता आ जाता है।
एक विचार तब आता है जब उसे आना होता है, ना कि जब मैं चाहता हूँ।
फ्रेडरिक नीत्शे
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