बिटकॉइन को समझने के लिए सबसे पहले हमें संसार की करेंसी और इन्टरनेट के मेल को समझना पड़ेगा ।
हम सभी समाज में जिस तरह से मुद्रा के रूप में नोट और सिक्कों का प्रयोग करते हैं उस तरह से इनकी भौतिक उपस्थिति के कारण हम इसे एक बार में एक ही जगह प्रयोग कर सकते हैं| कहने का तात्पर्य है की कोई XYZ नंबर के 100 रुपये के नोट का मालिक वही है जिसके पास वह नोट रखी है| परंतु जब हम इस मुद्रा को इन्टरनेट के खाते से लेनदेन करने लगते हैं तब इसमें व्यावहारिक रूप से आसानी समझ आती है परन्तु वास्तव में तकनिकी और सुरक्षा के रूप में बड़ी जटिलताएं जुडी होती हैं|
किसी भी डिजिटल मुद्रा को यानी की ऑनलाइन बैंकिंग की स्थिति में ऐसा हो सकता है कि आपके अकाउंट में ₹100 हैं और आप ने ऑनलाइन यानि वर्चुअल रूप से इसे तो अलग अलग जगहों से दो अलग कंप्यूटर से एक साथ एक ही समय पर ₹100 के दो अलग अलग भुगतान कर दिए (हालाँकि यह संभव नहीं है) तो इस तरह से हम वर्चुअल रूप से मुद्रा को दुनिया के किसी हिस्से में कितनी बार प्रयोग कर सकते हैं | दुनिया के तमाम फिशिंग करने वाले हैकर इस तरह के कामों में लिप्त होते हैं और यदि इस तरह के अंतरण दो देशों के बीच हो जाएँ तो रिकवरी भी बहुत मुश्किल हो जाएगी | कुल मिलकर मुद्रा के ऑनलाइन स्वरुप के साथ जुड़े इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए ही इन्टरनेट पर ऑनलाइन बैंकिंग हेतु संसार के सबसे उत्कृष्ट साइबर सुरक्षा चक्र रखे जाते हैं और यह अभेद्य भी है परन्तु यदि कोई व्यक्ति आपकी जानकारियों से आपका अकाउंट लॉग इन कर के ऐसा करे तो वह आप के पैसे का गलत प्रयोग कर सकता है|
कुल मिलाकर आसान शब्दों में कहें तो इन्टरनेट पर कोई मुद्रा, एक लिंक या डाटा के रूप में मौजूद होती है जो कितनी भी बार कॉपी हो सकती है और प्रयोग में लाइ जा सकती है और इस तरह एक ही ₹100 की नोट वर्चुअल संसार में एक ही समय में डिजिटल भुगतान प्रणाली से कई जगह पेमेंट किया जा सकता है |
अब इस वर्चुअल संसार के डिजिटल भुगतान प्रणाली में एक ही मुद्रा के एक ही समय में अनेक विनिमय को रोकने के कई सुरक्षा तकनीकियाँ होती हैं | और डिजिटल भुगतान प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है एक ही मुद्रा से एक ही समय में अनेक विनिमय को रोकना | और इसके लिए हमें विश्वसनीय केंद्रीकृत अथोरिटी की आवश्यकता होती है जैसे की “PayPal” जो बहुत ही उत्कृष्टता से सभी ट्रांजेक्सन की निगरानी करता है| किसी बैंकिंग गतिविधि का जितनी जल्दी डाटाबेस अपडेट हो जाये उतना ही अच्छा है क्यों की इसमें होने वाले मिली-सेकेंड की भी देरी लेनदेन में गड़बड़ झाला कर सकती है| पर आज के समय में लेनदेन को क्लाउड स्टोरेज की सूचनाओं में पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में अपडेट होने में देरी होती है|
वर्तमान निगरानी कहीं न कहीं अतिउत्कृष्ट तो हैं परन्तु साइबर जानकर इससे और उत्कृष्ट सिस्टम बनाना चाहते थे जो भविष्य की चुनौतियों का सामना साइबर संसार में कर सके| और इसी प्रेरणा से Bitcoin का जन्म हुआ |
Bitcoin संसार के बड़े से बड़े स्तर पर कितने भी सघन पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में लेनदेन को बहुत आसानी और दक्षता से अपडेट कर देता है| यही वह मुख्य इनोवेशन है जो Bitcoin को खास बनता है और सही मायनों में असली डिजिटल करेंसी बनता है| यह एक नॉन-रिवर्सेबल, खाते फ्रीज़ नहीं किये जा सकते और बहुत कम ट्रांजेक्शन शुल्क वाली मुद्रा प्रणाली है|
आशा है आपने Bitcoin श्रृंखला के ये 3 लेख जरुर पढ़ लिए होंगे जो आपको इसके बारे में विस्तार से बताएँगे:
2. Bitcoin माइनिंग क्या होता है?
3. Bitcoins का उज्जवल भविष्य और लाभ
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sir bitcoin ke bare me aur information dijiyega.