राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को सेंट्रल विस्टा कहते हैं। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क तक का इलाका सेंट्रल विस्टा कहा जाता है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर आता है।
इसके अलावा नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) के माध्यम से राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों का पुनर्निमाण या पुनर्उद्धार किया जाना है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को पुनर्निर्मित किया जाएगा।
नए आवासीय परिसर का भी प्रस्ताव है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे ताकि सभी मंत्रालय और विभाग समायोजित किया जा सके।
सेंट्रल विस्टा परियोजना की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है।
करीब एक हजार करोड़ रुपये नए संसद भवन के निर्माण पर खर्च होंगे। परियोजना के 2024 में पूरा होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में नए संसद भवन परिसर का शिलान्यास किया।
इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपए की बचत होगी, जो फिलहाल 10 इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराए पर खर्च होते हैं। साथ ही इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहा नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में फैला होगा। संभावना है कि इसका निर्माण कार्य अगस्त, 2022 यानी देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक पूरा कर लिया जाएगा। नया भवन त्रिभुज के आकार का होगा।
वर्तमान में पुरानी संसद के लोकसभा सदन में कुल 543 सदस्य बैठ सकते हैं, वहीं राज्यसभा में कुल 245 सदस्य। नए संसद भवन में 888 लोकसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी। वहीं संयुक्त सत्र में इसे 1224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा। राज्यसभा के सदन में कुल 384 सदस्य बैठ सकेंगे और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें भी जगह बढ़ाने का विकल्प रखा जाएगा।
वर्ष 2026 के बाद लोकसभा व राज्यसभा में जनसंख्या के अनुसार, निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि होनी है, ऐसे में मौज़ूदा संसद भवन आकार में छोटा है। वर्तमान सदन संसद की संयुक्त बैठक के अनुकूल नहीं है। संयुक्त बैठक के दौरान अनेक सदस्यों को प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठना पड़ता है।
मौजूदा इमारत अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप नहीं है। पानी और सीवर लाइनें भी बेतरतीब हैं और यह अपनी विरासत की प्रकृति को नुकसान पहुँचा रही है।
वर्ष 2001 के संसद पर हमले के मद्देनज़र सुरक्षा की चिंता इसकी कमज़ोर प्रकृति को दर्शाती है। वर्तमान भवन भूकंप-रोधी भी नहीं है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नए संसद भवन को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा बनाया जायेगा।
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