भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर पृथ्वी की निचली घूर्णन कक्षा के एक सैटेलाइट को मार गिराया है। भारत ने जिस सैटेलाइट टार्गेट को मार गिराया है, वह एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था।
इस लक्ष्य को A-SAT (ऐंटि सैटलाइट) मिसाइल के जरिए मार गिराया है। इस मिशन को मात्र तीन मिनट में पूरा किया गया है। मिशन शक्ति एक बेहद मुश्किल मिशन था। इससे भारत की तकनीकी क्षमता बढ़ी है।
इस उपलब्धि के बाद अपने दुश्मनों पर अंतरिक्ष के जरिए भी हमला कर सकता है। युद्ध की स्थिति में ये उपलब्धि भारत को बड़ी कामयाबी दिलाएगी। इस मिशन को इसरो और डीआरडीओ दोनों ने मिलकर पूरा किया है।
भारत ने इस सफल परीक्षण के जरिए चीन को संदेश दिया है। क्योंकि पाकिस्तान के पास ऐसी कोई ताकत नहीं है। वहीं एशिया में अभी तक चीन के पास ही ये ताकत थी।
इस मिशन कि सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि ये सैटेलाइट बेहद तेज गति से चलते हैं और उनकी कोई निर्धारित स्थिति नहीं होती है। इस मिशन के दौरान भारत ने ए-सैट मिसाइल का इस्तेमाल करके इस लाइव सैटेलाइट को टार्गेट किया है। इस टार्गेट को मार गिराने के लिए लंबी चौड़ी गणना करनी होती है।
मिशन शक्ति परीक्षण में जिस उपग्रह पर परीक्षण किया गया और मार गिराया गया, वह सेवा से परित्यक्त हो चुका था और अपनी कक्षा में 8 किलोमीटर/सेकेंड की रफ्तार से परिक्रमा कर रहा था।
Operation Shakti 2019 के परीक्षण के लिए ए-सेट मिसाइल को ओड़ीसा में स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ा गया था। इस मिसाइल ने मात्र तीन मिनिट बाद अंतरिक्ष में जाकर उस सेटेलाइट को हिट किया।
इस परीक्षण का लक्ष्य भारत को किसी युध्द कि स्थिति में अंतरिक्ष के संकटों से निबटने हेतु तैयार करने का था। अब भारत को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता की कोई जरूरत नहीं होगी, क्योंकि अब हमारे पास भी एक तकनीक है, जो हमे अंतरिक्ष में सुरक्षा प्रदान करेगी।
यह भारत का पहला परीक्षण था। यह शक्ति हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। इससे पहले तक यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, रुस और चीन के पास थी। यह सिर्फ तीन में ऑपरेशन पूरा किया गया है।
मिशन शक्ति यह एक कठिन ऑपरेशन था, जिसमें उच्च कोटि की क्षमता की आवश्यकता थी। वैज्ञानिकों ने सभी लक्ष्य हासिल कर लिए। भारत में विकसित एंटी सैटेलाइट से किया गया। सभी डीआरडी और फिर देश का मान बढ़ाया है। हमें हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है।
ए सैट यानि एंटी सैटलाईट मिसाइल एडवांस एयर डिफेंस और अग्नि मिसाइल का संयुक्त रूप है। जो परीक्षण भारत के द्वारा आज किया गया, वह वास्तव में कई वर्ष पूर्व ही तैयार कर लिया गया था, परंतु सरकार द्वारा परीक्षण कि अनुमति न मिलने के कारण इसका पूर्व में परीक्षण संभव नहीं हो सका।
अगर हम अन्य मिसाइलो की बात करे, तो उसके अगले हिस्से में बारूद का पे लोड होता है, परंतु यहाँ बारूद की जगह धातु की बनी पट्टियाँ होती है जो अंतरिक्ष में पहुंचकर सेटेलाइट से टकराती है तथा उपग्रह को नष्ट कर देती हैं।
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