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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के 100 रोचक तथ्य | 100 Interesting Facts of UP Elections 2017
- उत्तर प्रदेश विधानसभा का 17वां चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 के मध्य आयोजित हुआ।
- 14,12,53,172 यानि लगभग 140 मिलियन जनता के द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपने मुख्यमंत्री का चुनाव होना था |
- चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव कराया गया |
- कुल 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ |
- पहले चरण के दौरान 15 जिलों की 73 सीटों पर चुनाव हुआ यह मतदान 11 फरवरी को करवाया गया।
- उत्तर प्रदेश में पहले चरण के दौरान जिन 15 जिलों में मतदान हुआ, वे हैं – शामली, मुज़फ़्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोज़ाबाद, एटा तथा कासगंज।
- यूपी में दूसरे चरण के दौरान 11 जिलों की 67 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 15 फरवरी को करवाया गया।
- यूपी में होने वाले दूसरे चरण के दौरान जिन 11 जिलों में मतदान हुआ, वे हैं – सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर तथा बदायूं।
- उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 19 फरवरी को करवाया गया।
- राज्य में तीसरे चरण के अंतर्गत 12 जिलों – फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी तथा सीतापुर में चुनाव हुआ।
- राज्य में चौथे चरण के दौरान 12 जिलों की 53 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 23 फरवरी को करवाया गया।
- यूपी में चुनाव के चौथे चरण में जिन 12 जिलों में मतदान हुआ, वे हैं – प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर तथा रायबरेली।
- यूपी में पांचवें चरण में 11 जिलों की 52 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 27 फरवरी को करवाया गया।
- उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के तहत 11 जिलों – बलरामपुर, गोंडा, फैज़ाबाद, अम्बेडकर नगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, अमेठी तथा सुल्तानपुर में मतदान हुआ।
- राज्य में छठे चरण में सात जिलों की 49 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 4 मार्च को करवाया गया।
- राज्य में छठे चरण में सात जिलों में हुआ, जिनमें महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आज़मगढ़, मऊ तथा बलिया शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश में सातवें तथा अंतिम चरण में सात जिलों की 40 सीटों पर चुनाव हुआ और मतदान 8 मार्च को करवाया गया।
- यूपी विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में भी सात जिलों में मतदान हुआ, जिनके नाम गाज़ीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्ज़ापुर, भदोही, सोनभद्र तथा जौनपुर शामिल हैं।
- इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़ा |
बने अच्छे और बुरे रिकॉर्ड:
यूपी में 300 से ज्यादा सीटें जीत कर बीजेपी ने जहां एक नया रिकॉर्ड बनाया है|
उत्तर प्रदेश में 14 साल के बाद भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत के चलते ही सर्च ईंजन में दुनियाभर में 50 करोड़ से अधिक यूजर ने मोदी और विधानसभा चुनाव 2017 को सर्च किया है।
इंटरनेट के डाटा ट्रेंड का एनालिसिस करने वाली कंपनी मॉग आईए (MogIA) ने अपने एक सर्वे में लगभग 17 लाख एक्टिव यूजर्स और 16 लाख लोगों के चैट का विश्लेषण कर अनुमान जताया था कि बीजेपी को यूपी में 220 से 222 सीटों के साथ 35% वोट हासिल हो सकते हैं।
मीडिया में 69 फिसदी इंग्जमेंट के साथ मोदी यूपी के तीनों बड़े नेताओं से काफी आगे हैं। जबकि इस मामले में अखिलेश के प्रति इंग्जमेंट 29 प्रतिशत है जबकि राहुल गांधी के प्रति मात्र चार प्रतिशत ही रहा है|
बिथरी चैनपुर में सबसे ज्यादा 17094 लोगों ने नोटा बटन दबाया |
RLD, पीस पार्टी और IMC को नोटा से भी कम वोट मिला |
मोदी के कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, मेनका गांधी और उमा भारती तथा राज्यमंत्री नरेंद्र नाथ पाण्डेय, महेश शर्मा, साध्वी निरंजन ज्योति, संजीव बालयान, संतोष गंगवार और अनुप्रिया पटेल के क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया .
महिला दिग्गजों के लिए 2017 चुनाव:
- 26 साल की अपर्णा मुलायम सिंह यादव की बहू हैं और पार्टी की प्रतिष्ठित सीट लखनऊ कैंट से चुनाव मैदान में थीं। अपर्णा यादव बीजेपी की दिग्गज नेता रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं और इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।
- कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थामने वाली दिग्गज नेता रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट से चुनाव मैदान में थीं। वो इस सीट पर वर्तमान विधायक भी हैं। ऐसे में इस सीट को बचाना उनकी प्रतिष्ठा की वजह बन गया था। और वो चुनाव जीत गईं |
- स्वाति सिंह बीजेपी के पूर्व उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं और इन्होने सरोजिनी नगर लखनऊ से विजय हासिल कर अपने आप को सही साबित किया
- अलका राय बीजेपी के टिकट पर गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ रही थीं। वो बीजेपी नेता और पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी हैं। कृष्णानंद को क2005 में मुख्तार अंसारी ने मार डाला था। ये चुनावी जंग जीत गईं हैं।
- अंबेडकर नगर की टांडा सीट से संजू देवी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं और विजय हासिल करने में कामयाब रहीं। संजू देवी हिंदू युवा वाहिनी के बेहद लोकप्रिय हिन्दू नेता श्री रामबाबू गुप्ता की पत्नी हैं, जिनकी हत्या 2013 में क्षेत्र में हुई सांप्रदायिक हिंसा में मुसलमानों द्वारा कर दी गई थी।
- सरिता भदौरिया, सपा के गढ़ इटावा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थीं और उन्होंने इस चुनावी जंग में जीत हासिल की है।
- बसपा विधायक पूजा पाल एक बार फिर से चुनावी मैदान में थीं। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता की वजह से उनके पति राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड का आरोप बाहुबली नेता अतीक अहमद पर लगा था। इसके बाद मायावती ने पूजा को टिकट दिया और सहानभूति की लहर में वह विधायक चुनी गईं। पूजा एक बार फिर उन्हीं संवेदनाओं को भुनाने की कोशिश में थीं पर वो कामयाब नहीं हो सकीं और चुनाव हार गईं।
- रानी पक्षालिका सिंह अपने पति अरिदमन सिंह की जगह बीजेपी के टिकट पर बाह सीट से चुनाव लड़ रही थीं और उन्होंने इस महासंग्राम में जीत हासिल की है।
- अमेठी विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुईं थीं क्योंकि यहां दो रानियों की लड़ाई हो रही थी। भाजपा ने राज्यसभा सदस्य डॉ. संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह को प्रत्याशी बनाया था तो उनकी मौजूदा पत्नी अमीता सिंह कांग्रेस से मैदान में थीं। गरिमा सिंह ने अपनी जीत साबित कर दी है।
- रामपुर खास से एक ही पार्टी से लगातार नौ बार विधायक के रूप में रिकॉर्ड बनाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी की विरासत अब उनकी बेटी आराधना मिश्रा मोना संभाल रही हैं। वह 2014 में हुए उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरी थीं। इस बार वह कांग्रेस-सपा गठबंधन की उम्मीदवार थीं और उन्होंने जीत दर्ज की है।
राजनैतिक दिग्गजों के लिए 2017 चुनाव:
राजनेताओं की भावी पीढ़ी का चुनाव:
- बीजेपी के कद्दावर और सीनियर नेता लालजी टंडन के बेटे गोपाल टंडन को इस बार चुनावी मैदान में उतारा। वो लखनऊ पूर्व सीट से उम्मीदवार रहे और जीते।
- अलीगढ़ की अतरौली सीट भी हॉट सीट रही। यह कल्याण सिंह और उनके परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। यहां से भाजपा ने कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह को उम्मीदवार बनाया।
- रामपुर की स्वार सीट सपा सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला खान चुनाव लड़े और जीते।
- बसपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे और अब भाजपा का दामन थाम चुके स्वामी प्रसाद मौर्या भी अपने बेटे को पार्टी से टिकट दिलाने में सफल रहे। उनके बेटे उत्कर्ष मौर्या को पार्टी ने ऊंचाहार सीट से उम्मीदवार बनाया लेकिन वो चुनाव हार गए।
- बाहुबली मुख्तार अंसारी को लेकर सपा में बेशक फूट पड़ गई, लेकिन बसपा ने उन्हें पार्टी में लेने में एक पल की देरी नहीं की। यही नहीं पार्टी ने उनके बेटे अब्बास अंसारी को भी घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया लेकिन वो चुनाव हार गए।
- भाजपा के लोकसभा सदस्य और बाहुबली सांसद ब्रजभूषण सिंह के बेटे प्रतीक को भाजपा ने गोंडा से उम्मीदवार बनाया और जीते।
- गाजीपुर जिले की जंगीपुर सीट से सपा सरकार में मंत्री और पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे कैलाश यादव के बेटे वीरेन्द्र यादव चुनावी मैदान उतरे। इनके पिता यहां से कई बार विधायक रहे हैं और जीते।
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सुशील सिंह इस चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। वो सैय्यदराजा, चंदौली से प्रत्याशी थे। सुशील सिंह माफिया और एमएलसी बृजेश सिंह के भतीजे हैं। वहीं बृजेश सिंह की मुख्तार अंसारी से दुश्मनी जगजाहिर है। सुशील सिंह ने यहां जीत दर्ज की है।
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निर्बल इंडियन शोषित हमारा दल की सीट से ज्ञानपुर, भदोही में ताल ठोंक रहे थे। विजय पर इलाहाबाद में पूर्व बसपा नेता नंद गोपाल नंदी पर बम से हमला करने का भी आरोप है। इनके खिलाफ 16 केस दर्ज हैं। विजय का इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के महेंद्र कुमार बिंद और बीएसपी के राजेश कुमार यादव से था, लेकिन विजय मिश्रा ने कड़े मुकाबले में खुद को विजेता साबित किया।
नहीं चला धन कुबेरों का जादू:
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