शिरीष का वैज्ञानिक नाम: Albizia Lebbeck (एलबिझा लेबक)
हिंदी नाम: सिरस, शिरीष
संस्कृत नाम: वृतपुष्प
अंग्रेजी नाम: सिजलिंग ट्री
शिरीष के पेड़ की छाल, फूल, पत्ते, जड़, तेल, बीज व् फलियाँ अत्यंत कड़ुवे होते हैं। तथा खुजली, कुष्ठरोग, त्वचा दोष, दमा, नेत्र विकार, रुधिर विकार, खाँसी, कीट-दंश, सूजन, दन्त-विकार, कब्ज, सिरदर्द, काम-रोग आदि अनेकानेक बीमारियों का अचूक उपचार हैं।
#शिरीष तीव्र गति से बढ़ने वाला एक पर्णपाती वृक्ष है।
भारत के गर्म प्रदेशों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 7-8 हजार फुट की ऊँचाई तक पाया जाता है।
पुष्पों के आधार पर ये तीन प्रकार का पाया जाता है- गुलावी, पीला, सफ़ेद |
शिरीष के पेड़ का तना भूरे रंग का कटा फटा होता है|
इसके पत्ते एक से लेकर डेढ़ इंच तक लंबे इमली के पत्तों के समान किन्तु कुछ बड़े होते हैं।
शिरीष के फूल कोमल गेंद की भाँति गोल और महीन रेशों से भरे हुए होते हैं।
#शिरीष के पेड़ की फलियाँ 5 से 10 इंच तक लम्बी , चपटी, पतली एवं भूरे रँग की होती हैं | जिनमें 6 से 22 संख्या तक बीज होते हैं।
खांसी में लाभ:
शिरीष के पत्तों को घी में भूनकर दिन में 3 बार लेने से खांसी खत्म होती है।
चेहरे के दाग, धब्बे, मुंहासे में उपयोग एवं फायदे:
प्रतिदिन शिरीष के फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे में निखार आता है। इससे चेहरे के दाग, धब्बे, मुंहासे आदि खत्म होते हैं।इसका इस्तेमाल कम से कम 1 महीने तक करें।
त्वचा विकार में लाभ:
शिरीष की छाल को पानी में पीसकर दाद, खाज, खुजली पर प्रतिदिन सुबह-शाम लेप करने से खुजली व दाद ठीक होता है।
शिरीष के बीज को पीसकर चंदन की तरह लगाने से खाज-खुजली दूर होती है।
1 से 3 ग्राम सिरस की छाल का चूर्ण घी के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और शरीर का खून साफ होता है।
दांत के रोग में लाभ:
शिरीष की जड़ का काढ़ा बनाकर गरारे करने से तथा शिरीष की जड़ का चूर्ण बनाकर मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं। इससे मसूढ़ों के सभी रोग दूर होता है|
कब्ज दूर करें:
शिरीष के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण और 2 चुटकी सेंधा नमक। इन सभी को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन रात को खाना खाने के बाद सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है।
कीड़े का विष समाप्त करें:
शिरीष के फूलों को पीसकर जहरीले कीड़ों के डंक पर लेप करने से विष उतर जाता है।
शिरीष के बीजों को थूहर के दूध में पीसकर लेप करने से किसी भी जहरीले कीड़े का विष समाप्त होता है।
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