मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा कोई देश शत्रु के मिसाइल से अपने देश की रक्षा करने में सक्षम हो जाती है | इसमें आधुनिक हथियारों और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर शत्रु के मिसाइलों के हमलों से बचने के साथ उसे नष्ट करने की तकनिकी भी शामिल है |
देश की मिसाइलें सदैव आक्रमण कर दुसरे देश को नुकसान पहुचती हैं पर इसके साथ यह भी आवश्यक है की दुश्मन के मिसाइल से स्वयं कको सुरक्षित रखना | इस प्रक्रिया में शत्रु के मिसाइल की स्थिति, ट्रैकिंग, प्रतिरक्षा और नष्ट करना शामिल है। मूलतः इसे युद्ध में प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में प्रयोग कर हम देश की रक्षात्मक प्रणाली को मजबूत करते हैं।
भारत ने अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम का ताजा परीक्षण मार्च २०१६ में किया है। उड़ीसा के समुद्रतट से धनुष मिसाइल ने पल भर में हमलावर मिसाइल को मार गिराया। 2000 किलोमीटर तक की मिसाइल को मार गिराने में देश ने महारत हासिल कर ली है। डीआरडीओ का दावा है कि भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम अमेरिका के पैट्रियाट एयर डिफेंस सिस्टम, इजरायल के एरो-2 और रूस के जमीन से हवा में मार करने वाले एस-300 सिस्टम से कहीं ज्यादा बेहतर है।
2011 के बाद भारत मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे चरण में प्रवेश कर जाएगा। इसमें 6000 किलोमीटर रेंज तक की इंटर कॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को भी मार गियाया जा सकेगा। इसके लिए जिस मिसाइल का इस्तेमाल होगा वो आवाज की गति से 6 गुना ज्यादा रफ्तार से दौड़ेगी यानि इसके बाद भारत का सुरक्षा कवच पूरी तरह से अभेद्य हो जाएगा।
भारत के लिए यह मिसाइल रक्षा कवच बहुत जरूरी हो गया था क्योंकि चीन और पाकिस्तान लगातार अपने मिसाइल कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रहें है . चीन के पास बैलेस्टिक मिसाइलों का अम्बार लगा हुआ है ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए यह जरूरी हो गया था कि दुश्मन की मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने का सिस्टम विकसित किया जाए.
आज महानगरों की घनी आबादी को देखते हुए इस तरह का एंटी मिसाइल सिस्टम हमारी सख्त जरूरत बन चुका है. इस मिसाइल कवच के विकसित होने से हमारे ऊर्जा स्रोतों मसलन, तेल के कुएं और न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चिलत की जा सकेगी.
डॉ. वी के सारस्वत, चीफ कंट्रोलर, डीआरडीओ कहते हैं कि बादलों के नीचे और ऊपर दोनों जगह भारत की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली एकदम सटीक काम कर सकती है। इसकी मारक क्षमता 99.8 प्रतिशत तक सटीक है। हम दो साल के अंदर मिसाइल सुरक्षा कवच से लैस होंगे।
साढ़े सात मीटर लंबी एडीडी इंटरसेप्टर मिसाइल एक एकल चरण ठोस रॉकेट चालित मिसाइल है जोकि इनीर्सियल नेविगेशन प्रणाली से लैस है. इसे एक हाईटेक कंप्यूटर, एक इलेक्ट्रो –मैकेनिकल एक्टीवेटर से लैस किया गया है .इसका अपना अलग मोबाइल लांचर ,इंटरसेप्सन के लिए सिक्योर डेटा लिंक ,स्वतंत्र ट्रेकिंग क्षमता और अत्याधुनिक राडार भी है. यह माध्यम ऊंचाई की रक्षा प्रणाली है |
पृथ्वी मिसाइल के आधार पर, PAD 80 किमी (50 मील) की एक अधिकतम अवरोधन ऊंचाई के साथ एक दो चरण वाली मिसाइल है। पहले चरण में एक ठोस ईंधन मोटर, जबकि दूसरे चरण में तरल ईंधन है। पैड मैक 5 की स्पीड से 300 से 2,000 किमी की क्षमता वाले बैलिस्टिक मिसाइलों का वर्ग है |
हालांकि, हर देशके पास इससे संबंधित अलग-अलग तकनीक हैं. मसलन, अमेरिका और रूस के पास इंटर कांटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को भी मार गिराने की तकनीक है, जबकि अन्य देशों के पास अभी यह तकनीक नहीं है. भारत के एंटी मिसाइल विकास कार्यक्रम में इस्राइल का अहम योगदान है जिसके ग्रीनपाइन राडार की बदौलत एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) मिसाइल प्रणाली के अब तक कई परीक्षण किए गए हैं.
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