जड़ी बूटी की जानकारी

भृंगराज की जानकारी, लाभ एवं प्रयोग | Bhringraj Information, Benefits & Uses in Hindi

Spread the love! Please share!!

भृंगराज की जानकारी, लाभ एवं प्रयोग
Bhringraj Information, Benefits & Uses in Hindi

भृंगराज की जानकारी:

वानस्पतिक : एक्लिप्टा प्रोस्ट्राटा (Eclipta Prostrata)
वानस्पतिक नाम: एक्लिप्टा अल्बा, वेरबेसिना प्रोस्ट्राटा, एक्लिप्टा इरेक्टा, एक्लिप्टा पंकटाटा, वेरबेसिना अल्बा
अंग्रेजी नाम: फाल्स डेज़ी
संस्कृत नाम: केहराज, भृंगराज (Bhringraj), भांगरा
वनस्पति परिवार: एस्टेरासै (सनफ्लॉवर, टोरनेसोल्स)
वंश: एक्लिप्टा एल

भृंगराज के औषधीय लाभ एवं प्रयोग:

बालों को मजबूत बनाये :

आयुर्वेद के मुताबिक बालों का झड़ना और बालों से जुड़ी अन्‍य समस्‍यायें पित्‍त दोष के कारण होती हैं, और भृंगराज का तेल इसी समस्‍या को दूर करने में मदद करता है।

यह बालों को बढ़ाने में मदद करता है। नियमित तौर पर बालों में भृंगराज तेल से मसाज करने से स्‍कैल्‍प में रक्‍त प्रवाह बढ़ जाता है। इससे बालों की जड़ें सक्रिय हो जाती हैं और बालों का बढ़ना शुरू हो जाता है। भृंगराज का तेल को बनाते समय इसमें शिकाकाई, आंवला जैसी अन्‍य औषधियां भी मिलायी जा सकती हैं। इसके साथ ही इसमें तिल या नारियल का तेल भी मिलाया जा सकता है। ये सब मिलकर आपके बालों को स्‍वस्‍थ और घना बनाते हैं।

डिप्थीरिया :

10 ग्राम भांगरा के रस में बराबर मात्रा में गाय का घी, चौथाई असली यवक्षार मिलाकर पकाएं, जब यह खूब खौल जाए तब इसे 2-2 घंटे के अंतर से रोगी को पिलाने से यह रोग समाप्त हो जाता है।

अग्निमान्द्य व पेचिश:

भृंगराज के पूरे पौधे को जड़ सहित छाया में सुखाकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें, फिर उसमें बराबर मात्रा में त्रिफला चूर्ण को मिला लेते हैं। इसके बाद इस मिश्रण के बराबर मिश्री मिला लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को शहद या पानी के साथ दिन में तीन बार खाने से मंदाग्नि (भूख का कम लगना) और पेचिश का रोग मिट जाता है।

भृंगराज के पत्तों और फूलों के सूखे बारीक चूर्ण में थोड़ा सेंधानमक मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पाचनशक्ति की वृद्धि होती है। इससे अरुचि (भोजन करने का मन न करना) दूर हो जाती है।

भृंगराज के ताजे साफ पत्तों को पीसकर चूर्ण बनाकर 2 ग्राम चूर्ण में 7 कालीमिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे रोजाना खाली पेट खट्टे दही या तक्र (मट्ठा) के साथ सेवन करने से 5-6 दिन में ही पेचिश या पीलिया रोग में विशेष लाभ मिलता है।

यकृत वृद्धि व उदरशोथ (पेट की सूजन) में भी यह अत्यंत लाभकारी होता है। भृंगराज के 5 ग्राम रस में आधा ग्राम मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह दही के साथ लेने से कुछ ही दिनों में कामला रोग (पीलिया) समाप्त हो जाता है।

रक्तचाप :

2 चम्मच भृंगराज के पत्तों का रस, 1 चम्मच शहद दिन में दो बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है। यदि पेट में कब्ज न हो तो वह सामान्य रहता है। इससे पेट भी ठीक रहता है तथा भूख भी बढ़ती है।

कफ :

तिल्ली बढ़ी हुई हो, भूख न लग रही हो, लीवर ठीक न हो, कफ व खांसी भी हो और बुखार बना रहे। तब भृंगराज का 4-6 ग्राम रस 300 मिलीलीटर दूध में मिलाकर सुबह और रात के समय सेवन करने से लाभ होता है।

गोद के बच्चे या नवजात बच्चे को कफ (बलगम) अगर होता है। तो 2 बूंद भृंगराज के रस में 8 बूंद शहद मिलाकर उंगली के द्वारा चटाने से कफ (बलगम) निकल जाता है।

प्लीहा वृद्धि (तिल्ली) :

अजवायन के साथ भृंगराज का सेवन करने से जुकाम, खांसी, प्लीहा, यकृत वृद्धि (जिगर का बढ़ना) आदि रोग दूर हो जाते हैं।

लगभग 10 मिलीलीटर भृंगराज के रस को सुबह और शाम रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना बंद हो जाता है।

कान का दर्द :

भृंगराज का रस 2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

पेट के कीड़े :

भृंगराज को एरंड के तेल के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

पेट में दर्द :

भृंगराज के पत्तों को पीसकर निकाले हुए रस को 5 ग्राम की मात्रा में 1 ग्राम काला नमक मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
भृंगराज के 10 ग्राम पत्तों के साथ 3 ग्राम कालानमक को थोड़े से पानी में पीसकर छानकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से पुराना पेट दर्द समाप्त हो जाता है।

आधाशीशी :

भृंगराज के रस और बकरी का दूध बराबर मात्रा में लेकर उसको गर्म करके नाक में टपकाने से और भांगरा के रस में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर लेप करने से आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) का दर्द मिट जाता है।

बालों के रोग :

बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भृंगराज के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।

त्रिफला के चूर्ण को भृंगराज के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल करते हैं। रोजाना सुबह डेढ़ ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना रुक जाता है। यह आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है।

आंवलों का मोटा चूर्ण बनाकर, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भृंगराज का इतना रस डालें कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 उबाल देकर सुखा लेते हैं। इसे रोजाना 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय में बालों का सफेद होना रुक जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, आयुवर्द्धक रसायन व सभी रोगों के लिए लाभकारी योग है।

भृंगराज, त्रिफला, अनंतमूल, आम की गुठली इन सभी का मिश्रण तथा 10 ग्राम मंडूर कल्क व आधा किलो तेल को एक किलो पानी के साथ पकायें। पकने पर तेल बाकी रहने पर छानकर रख लेते हैं। इससे बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।

आंखों के रोग :

10 ग्राम भृंगराज के पत्तों का बारीक चूर्ण, 3 ग्राम शहद और 3 ग्राम गाय का घी, रोजाना सोते समय रात में 40 दिनों तक नियमित सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।

भृंगराज के पत्तों का रस 2 बूंद सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त से के थोड़ी देर बाद आंखों में डालते रहने से फूली आदि आंखों के रोग शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।

2 लीटर भृंगराज के रस में, 50 ग्राम मुलेठी का चूर्ण, 500 मिलीलीटर तिल का तेल और 2 लीटर गाय का दूध मिलाकर धीमी आग पर पकाते हैं पकने पर तेल शेष रहने पर इसे छानकर रख लेते हैं। इसे आंखों में लगाने से तथा इसकी नस्य (नाक से सूंघने से) लेने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे खोई हुई आंखों की रोशनी लौट आती है।

भांगरा के पत्तों की पोटली बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द नष्ट होता है।

कंठमाला :

भृंगराज के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर घी में पकाकर कंठमाला की गांठों पर बांधने से तुरन्त ही लाभ मिलता है।

मुंह के छाले :

भृंगराज के 5 ग्राम पत्तों को मुंह में रखकर चबाएं तथा लार थूकते जाएं। दिन में ऐसा कई बार करना से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

पीनस रोग :

250 मिलीलीटर भृंगराज का रस, 250 मिलीलीटर तिल का तेल, 10 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर हल्की आग पर गर्म कर लें। गर्म करने के बाद प्राप्त तेल की लगभग 10 बूंद तक नाक के दोनों नथुने में टपकाने से नाक के अंदर से दूषित बलगम तथा कीड़े बाहर निकल जाते हैं तथा पीनस रोग थोड़े ही दिनों में नष्ट हो जाता है। परहेज में गेहूं की रोटी व मूंग की दाल खानी चाहिए।

Facebook Comments

Spread the love! Please share!!
Shweta Pratap

I am a defense geek

Recent Posts

आत्मनिर्भर रक्षातंत्र का स्वर्णिम अध्याय। दैनिक जागरण 3 अक्टूबर 2023

       रक्षा निर्यात पर भारत सरकार द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व प्रयासों के…

7 months ago

भारतीय द्वीप समूहों का सामरिक महत्व | दैनिक जागरण 27 मई 2023

भारतीय द्वीप समूहों का सामरिक महत्व | दैनिक जागरण 27 मई 2023  

11 months ago

World Anti Tobacco Day in Hindi तंबाकू-विरोधी दिवस: धूम्रपान-मुक्त दुनिया की ओर

  World Anti Tobacco Day in Hindi तंबाकू-विरोधी दिवस: धूम्रपान-मुक्त दुनिया की ओर   परिचय:…

12 months ago

Commonwealth Day in Hindi 2023 राष्ट्रमंडल दिवस: एकता और विविधता का उत्सव

  Commonwealth Day in Hindi 2023 राष्ट्रमंडल दिवस: एकता और विविधता का उत्सव परिचय: राष्ट्रमंडल…

12 months ago

Anti Terrorism Day 21st May in Hindi आतंकवाद विरोधी दिवस 21 मई

आतंकवाद विरोधी दिवस: मानवता की रक्षा करना और शांति को बढ़ावा देना आतंकवाद विरोधी दिवस परिचय:…

12 months ago

World Telecommunication Day (Information Society Day) in Hindi विश्व दूरसंचार दिवस इतिहास

World Telecommunication Day (Information Society Day) in Hindi विश्व दूरसंचार दिवस का इतिहास   17…

12 months ago