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ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) के लक्षण एवं उपचार | Bronchitis Disease in Hindi

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ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) के लक्षण एवं उपचार | Bronchitis Disease in Hindi

जीर्ण जुकाम को ब्रोंकाइटिस भी कहते हैं। इस रोग के कारण रोगी की श्वास नली में जलन होने लगती है तथा कभी-कभी तेज बुखार भी हो जाता है जो 104 डिग्री तक हो जाता है। यह रोग संक्रमण के कारण होता है जो फेफड़ों में जाने वाली सांस की नली में होता है। यह दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस और तेज ब्रोंकाइटिस 2 प्रकार का होता है।  इस रोग से पीड़ित रोगी को सूखी खांसी, स्वरभंग, श्वास कष्ट, छाती के बगल में दर्द, गाढ़ा-गाढ़ा कफ निकलना और गले में घर्र-घर्र करने की आवाज आती है।

1. उग्र ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitic):

इस रोग के कारण रोगी को सर्दियों में अधिक खांसी और गर्मियों में कम खांसी होती रहती है लेकिन जब यह पुरानी हो जाती है तो खांसी गर्मी हो या सर्दी दोनों ही मौसमों में एक सी बनी रहती है।

  • उग्र ब्रोंकाइटिस के लक्षण:

तेज ब्रोंकाइटिस रोग में रोगी की सांस फूल जाती है और उसे खांसी बराबर बनी रहती है तथा बुखार जैसे लक्षण भी बन जाते हैं। रोगी व्यक्ति को बैचेनी सी होने लगती है तथा भूख कम लगने लगती है।

  • उग्र ब्रोंकाइटिस के कारण:

जब फेफड़ों में से होकर जाने वाली सांस नली के अन्दर से वायरस (संक्रमण) फैलता है तो वहां की सतह फूल जाती है, सांस की नली जिसके कारण पतली हो जाती है। फिर गले में श्लेष्मा जमा होकर खांसी बढ़ने लगती है और यह रोग हो जाता है।

2. दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitic):

पुराना ब्रोंकाइटिस रोग रोगी को बार-बार उभरता रहता है तथा यह रोग रोगी के फेफड़ों को धीरे-धीरे गला देता है और तेज ब्रोंकाइटिस में रोगी को तेज दर्द उठ सकता है। इसमें सांस की नली में संक्रमण के कारण मोटी सी दीवार बन जाती हैं जो हवा को रोक देती है। इससे फ्लू होने का भी खतरा होता है।

  • दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस का लक्षण:

इस रोग के लक्षणों में सुबह उठने पर तेज खांसी के साथ बलगम का आना शुरू हो जाता है। शुरू में तो यह सामान्य ही लगता है। पर जब रोगी की सांस उखडने लगती है तो यह गंभीर हो जाती है जिसमें एम्फाइसीमम का भी खतरा हो सकता है। ऑक्सीजन की कमी के कारण रोगी के चेहरे का रंग नीला हो जाता है।

  • दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस होने का कारण:

ब्रोंकाइटिस रोग होने का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान को माना जाता है। धूम्रपान के कारण वह खुद तो रोगी होता ही है साथ जो आस-पास में व्यक्ति होते हैं उनको भी यह रोग होने का खतरा होता है।

उग्र ब्रोंकाइटिस तथा दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस रोग घरेलू उपचार

  • जब किसी व्यक्ति को तेज ब्रोंकाइटिस रोग हो जाता है तो उसे 1-2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए
  • रोगी को फलों का रस पीना चाहिए तथा इसके साथ में दिन में 2 बार एनिमा तथा छाती पर गर्म गीली पट्टी लगानी चाहिए।
  • गहरी कांच की नीली बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 6 बार सेवन करने तथा गहरी कांच की नीली बोतल के सूर्यतप्त जल में कपड़े को भिगोकर पट्टी गले पर लपेटने से उग्र ब्रोंकाइटिस रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।
  • दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस रोग कभी-कभी बहुत जल्दी ठीक नहीं होता है लेकिन इस रोग को ठीक करने के लिए नमकीन तथा खारीय आहार का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए |
  • शारीरिक शक्ति के अनुसार उचित व्यायाम करना चाहिए।
  • दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को 2-3 दिनों तक फलों के रस पर रहना चाहिए और अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इसके बाद सादा भोजन करना चाहिए।
  • इस प्रकार से रोगी व्यक्ति यदि नियमित रूप से प्रतिदिन उपचार करता है तो उसका यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के क्षारधर्मी आहार नमकीन, खारा, तीखा तथा चरपरा है जिनका सेवन करने से ब्रोंकाइटिस रोग ठीक हो जाता है।
  • क्षारधर्मी आहार इस प्रकार हैं-आलू, साग-सब्जी, सूखे मेवे, चोकर समेत आटे की रोटी, खट्ठा मट्ठा और सलाद आदि।
  • दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को गर्म पानी पिलाकर तथा उसके सिर पर ठण्डे पानी से भीगी तौलिया रखकर उसके पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए।
  • उसके बाद रोगी को उदरस्नान कराना चाहिए और उसके शरीर पर गीली चादर लपेटनी चाहिए। इसके बाद रोगी के शरीर में गर्मी लाने के लिए कम्बल ओढ़कर रोगी को पूर्ण रूप से आराम कराना चाहिए।
  • जब इस रोग की अवस्था गंभीर हो जाए तो रोगी की छाती पर भापस्नान देना चाहिए और इसके बाद रोगी के दोनों कंधों पर कपड़े भी डालने चाहिए।
  • इस रोग के साथ में रोगी को सूखी खांसी हो तो उसे दिन में कई बार गर्म पानी पीना चाहिए और गरम पानी की भाप को नाक तथा मुंह द्वारा खींचना चाहिए।
  • नींबू के रस को पानी में मिलाकर अधिक मात्रा में पीना चाहिए तथा रोगी व्यक्ति को खुली हवा में टहलना चाहिए और सप्ताह में कम से कम 2 बार एप्सम साल्टबाथ (पानी में नमक मिलाकर उस पानी से स्नान करना) लेना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को अपनी रीढ़ की हड्डी पर मालिश करनी चाहिए तथा इसके साथ-साथ कमर पर सिंकाई करनी चाहिए इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक आराम मिलता है और उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • रोगी को प्रतिदिन अपनी छाती पर गर्म पट्टी लगाने से बहुत आराम मिलता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में प्राणायाम क्रिया करनी चाहिए।
  • इससे श्वसन-तंत्र के ऊपरी भाग को बल मिलता है और ये साफ रहते हैं। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।

ब्रोंकाइटिस रोगी के लिए कुछ सावधानियां:

  • इस रोग से पीड़ित रोगी को ध्रूमपान नहीं करना चाहिए क्योंकि ध्रूमपान करने से इस रोग की अवस्था और गंभीर हो सकती है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को लेसदार पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनसे बलगम बनता है।
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Shweta Pratap

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