नाम: दीपक चोपड़ा (Deepak Chopra)
जन्म: 22 अक्टूबर को 1946 को नई दिल्ली British India
पिता का नाम: डॉ॰ के एल चोपड़ा
पत्नी का नाम: रीता चोपड़ा
राष्ट्रीयता: अमेरिकन
कार्यक्षेत्र: Physician, public speaker, writer
उपलब्धियाँ: Oceana Award (2009),the Cinequest Life of a Maverick Award (2010), Humanitarian Starlite Award (2010), and the GOI Peace Award (2010) |
Deepak Chopra एक डाक्टर और लेखक (Motivational Bestseller Books) हैं। उन्होंने आध्यात्म पर कई पुस्तकें लिखी हैं जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया है। वे कहते हैं कि वो वेदान्त और श्रीमद्भागवत गीता से काफी प्रभावित हैं|
“ब्रह्माण्ड में तीन चीजें हैं जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता, आत्मा, जागरूकता और प्रेम|”
“ख़ुशी ऐसी घटनाओ की निरंतरता है जिनका हम विरोध नहीं करते।”
जब आप ये सोचते हैं कि आपका जीवन बिल्कुल ठीक है, कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आपके भाग्य को ऐसे बदल देती हैं जैसा आपने कभी सोचा भी नहीं होता है|
आप जितना कम अपने दिल को दुसरो के सामने खोलोगे, उतनी ही अधिक आपके दिल को पीड़ा होगी|
हम सब अनगिनत विकल्पों को चुन सकते है हमारे पास हर क्षण अनंत संभावनाएं व विकल्प होते है|
उनके साथ चलिए जो सत्य खोज रहे हैं ….उनसे दूर भागिए जो ये सोचते हैं कि उन्होंने सत्य खोज लिया है|
मुश्किल समय व अराजकता के बीच खुद के भीतर शान्ति बनाये रखे|
नदी की दिशा बदलने की कोशिश मत करो|
सबसे रचनात्मक कार्य जो आप कभी भी करेंगे वो स्वयम को बनाने का कार्य होगा|
अपनी प्रसन्नता से पुनः जुड़ना सबसे अधिक खास होता है. कुछ भी इतना समृद्ध और वास्तविक नहीं है|
सोचना इस ब्रेन की केमिस्ट्री का अभ्यास है|
आप जिस तरह से सोचते हैं, जिस तरह अपना व्यवहार करते हैं, जिस तरह आप खाते हैं वह आपको जीवन के 30 से 50 साल तक प्रभावित कर सकता है|
अगर आप या मैं इस पल किसी के भी विरुद्ध हिंसा या नफरत का विचार अपने मन में ला रहे हैं तो हम दुनिया को घायल करने में योगदान दे रेहे हैं|
हम उम्र बढ़ने, बीमारी या मृत्यु के शिकार नहीं हैं बल्कि यह तो प्रकृति का हिस्सा हैं. हम सिद्ध पुरुष नहीं हैं जिनमे कोई बदलाव नहीं आता बल्कि हम सिद्ध पुरुष आत्मा है|
किसी कारण वश खुश होना एक दूसरे तरह का दुःख है क्योंकि कारण कभी भी हमसे छीना जा सकता है|
हर व्यक्ति भ्रूण में एक भगवान ही होता है. जिसकी सिर्फ एक इच्छा है पैदा होने की|
प्रेम को कारण की ज़रुरत नहीं होती वो दिल के तर्कहीन ज्ञान से बोलता है|
यदि आप भय और क्रोध से बिना उनका मतलब जाने छुटकारा पाना चाहते हैं तो वो और शक्तिशाली होकर लौटेंगे|
उथल -पुथल और अराजकता के बीच अपने भीतर शांति बनाये रखें|
अपने शरीर को जानकार कर एवं विश्वास और जीव विज्ञान के बीच कि कड़ी समझ कर आप उम्र बढ़ने से मुक्ति पा सकते हैं|
दीपक चोपड़ा Deepak Chopra
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