ग़म और होता सुन के गर आते न वो ‘वसीम’
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं
दा हवा में बहुत दूर तक गयी
पर मैं बुला रहा था जिसे , वो बेखबर रहा
उसकी आखिरी नज़र में अजब दर्द था “मुनीर”
उसके जाने का रंज मुझे उम्र भर रहा
तुम शौक से जाओ अपने आशियाने में ,
मैं खुद को बता दूंगा गलत मैं ही था !!
ये आईने क्यूँ हमे धुंदले नजर आते है ,
जाने इन आँखों को इनसे आरजू क्या है !!
लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से जिन्दगी अधूरी नहीं होती,
लेकिन लाखों के मिल जाने से उस एक की कमी पूरी नहीं होती ..!!
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
अपने मन में डूबकर पा ले सुराग-जिंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता, न बन, अपना तो बन
जिंदगी से तो खैर शिकवा था
मुद्दतों मौत ने भी तरसाया
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकता
जो फ़ासलों की तरह मेरे साथ रहता है
अब तो ये भी नहीं रहा एहसास
दर्द होता है या नहीं होता
मेरे रोने की हकीकत जिसमें थी
एक मुद्दत तक वो कागज नम रहा
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
इब्तिदा वो थी कि जीना था मोहब्बत में मुहाल
इंतिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया
सब के होते हुए भी तन्हाई मिलती है,
यादों में भी गम की परछाई मिलती है,
जितनी भी दुआ करते हैं किसी को पाने की,
उतनी ही ज्यादा जुदाई मिलती है।
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है
क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता है !!
किसी राहरौ को खबर यह न होगी
कि इंसान तनहा भी इक कारवां है
जीना है तो जी जीने की तरह
जीने का फकत इलजाम न ले
आपकी याद दिल को बेकरार करती है,
नज़र तलाश आपको बार-बार करती है,
गिला नहीं जो हम हैं दूर आपसे,
हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती है।
वो इतना रोई मेरी मौत पर मुझे जगाने के लिए,
मैं मरता ही क्यूँ अगर वो थोडा रो देती मुझे पाने के लिए।
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो,
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
ये प्यारी निगाहॆं याद रहॆंगी…मिलकर ना मिलने की अदा याद रहॆंगी,
मुमकिन नहीं की मॆं तुम्हॆ भुला दुं…और उमर भर तुम्हॆ भी मेरी याद रहॆगी. !!
उस के दिल पर भी, क्या खूब गुज़री होगी
जिसने इस दर्द का नाम, मोहब्बत रखा होगा !!
फिर यू हुआ कि दर्द मुझे रास आ गए
फिर यूँ हुआ कि जिन्दगी आसान हो गयी !!
कोई इशारा दिलासा न कोई व’अदा मगर
जब आई शाम तिरा इंतिज़ार करने लगे
जिंदगी इक आंसुओं का जाम था
पी गए कुछ और कुछ छलका गए
मुझे छोड़कर वो जिस शख्स के पास गयी,
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता..!!
आँसू गिरने की आहट नही होती.. दिल के टूटने की आवाज नहीं होती
गर होता उन्हें एहसास दर्द का.. तो दर्द देने की उन्हें आदत नहीं होती
तन्हा रहना तो सीख लिया हमने,
लेकिन खुश कभी ना रह पाएंगे,
तेरी दूरी तो फिर भी सह लेता ये दिल,
लेकिन तेरी मोहब्बत के बिना ना जी पाएंगे।
आशिक़ी में ‘मीर’ जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
किसी को चाह कर ना पाना दर्द देता है,
लेकिन पाकर खो देना ज़िन्दगी तबाह कर जाता है !!
आपकी याद दिल को बेकरार करती है,
नज़र तलाश आपको बार-बार करती है,
गिला नहीं जो हम हैं दूर आपसे,
हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती है।
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