नाम: गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह बचपन का नाम: गोविन्द राय था।
जन्म: 22 दिसंबर, 1666 पटना बिहार, भारत
माता-पिता का नाम: गुजरी जी और गुरु तेग बहादुर जी
जीवनसाथी: माता जीतो, माता संदरी, माता साहिब दीवान
गुरु गोबिंद सिंह बच्चे: अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह
पदवी: गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु और अंतिम गुरु थे|
मृत्यु: 7 अक्टूबर 1708 (उम्र 42) नांदेड़, महाराष्ट्र, भारत
उपलब्धियाँ: खालसा पंथ के सस्थापक, सिखों के दसवें गुरु, आपने गुरु ग्रन्थ साहिब पूर्ण की, आपको भक्ति और शक्ति का अद्वितीय संगम माना जाता है|
सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा, और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्हे उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा|
हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूँ।
स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है|
आपने ब्रह्माण्ड की रचना की, आप ही सुख-दुःख के दाता हैं|
सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं|
ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वयम सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है|
ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें|
मैं उस गुरु के लिए न्योछावर हूँ, जो भगवान के उपदेशों का पाठ करता है|
जो लोग भगवान के नाम पर ध्यान करते हैं, वे सभी शांति और सुख प्राप्त करते हैं|
मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं|
सच्चे गुरु की सेवा करते हए स्थायी शांति प्राप्त होगी, जन्म और मृत्यु के कष्ट मिट जायेंगे|
हमे सबसे महान सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त हो सकती है जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते है।
अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे|
मृत्यु के शहर में, उन्हें बाँध कर पीटा जाता है, और कोई उनकी प्रार्थना नहीं सुनता है|
जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी|
दिन-रात, हमेशा ईश्वर का ध्यान करो|
उसने हेमशा अपने अनुयायियों को आराम दिया है और हर समय उनकी मदद की है|
अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है|
बिना नाम के कोई शांति नहीं है|
जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए|
बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है|
मुझे उसका सेवक मानो और इसमें कोई संदेह मत रखो|
ईश्वर स्वयं क्षमाकर्ता है|
भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं|
जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है|
अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है|
इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है|
असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा|
आप स्वयं ही स्वयं हैं, अपने स्वयं ही सृष्टि का सृजन किया है|
सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है|
हमेशा अपने दुश्मन से लड़ने से पहले, साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें।
गुरु गोबिंद सिंह
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