अमरुद का नाम “अमरुद” क्यों

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मित्रों, संस्कृत व्याकरण, बहुत ही वैज्ञानिक है और इसके शब्द विज्ञान की परंपरा भी बड़ी अनूठी है |

शब्दविज्ञान या शब्दरचना की इसी परंपरा को अंग्रेजी में “ETYMOLOGY” कहते हैं | भारत में सहज सनातन दर्शन ने सामान्य जीवन के व्यवहार को परख कर शब्द रचना किया गया |

|| जैसे अमरुद का नाम “अमरुद” क्यों पडा ??? ||

आम फलों का राजा है और भारत में “आम” सिर्फ फल नहीं अपितु वसंत पंचमी के दर्शन से लेकर उसके “मञ्जूषा” यानि बौर की सब्जी बनाने से लेकर अचार, फल, रस और गुठली के भीतर के सफ़ेद गुद्दे की रोटी बनाने और गादा-रोटी तक ग्रामीण जीवन में हर रूप में विद्यमान रहा |

और लगभग ५ महीने तक आम हर रूप में भारतीय समाज के हर वर्ग का सर्वाधिक प्रिय रह कर सभी समसामयिक फलों को मात देता है |

फल के रूप में आम के उस प्रवाह को रोकने का माद्दा किसी और फल में नहीं होता सिवाय अमरुद के | 
आम के प्रभाव को रुद्ध (रोकने वाला) करने की ताकत रखने वाला फल अमरुद्ध होता है यही प्रचलित शब्द “अमरुद” है |

मित्रों अमरुद का मौसम आ गया है | बोतल बंद जूस और ग्वावा जूस के नाम पर लूट का शिकार मत बनिए | १० रुपये का खरीदिये और (नमक और कालीमिर्च) छिड़क कर खाइए | फाइबर युक्त अत्यंत लाभकारी अमरुद का सेवन दाँतों से खाकर करिए और अपने जीवन को पाइल्स औए कब्ज से बचाइये | इस तरह स्थानीय भारतीय किसानों को आर्थिक संबल भी प्रदान करिए|

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Shivesh Pratap

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